झारखंड में चार माह पूर्व संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद अभी तक भाजपा ने विधायक दल के नेता का चयन नहीं किया है। इससे संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों में अड़चन आ रही है।
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रांची। झारखंड में चार माह पूर्व संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद अभी तक भाजपा ने विधायक दल के नेता का चयन नहीं किया है। इससे संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों में अड़चन आ रही है।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी एक मामले की सुनवाई के क्रम में इसपर निर्देश देते हुए कहा है कि भाजपा दो सप्ताह में विधायक दल के नेता के ताैर पर किसी विधायक को नामित करे। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए यह आवश्यक है।
इससे संबंधित निर्णय लेने वाली समिति में मुख्यमंत्री के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष भी होते हैं। राज्य में भाजपा सबसे बड़ा विपक्षी दल है और इस लिहाज से पार्टी विधायक दल के नेता को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता मिलेगी।
पहले संवैधानिक पदों पर नियुक्ति नहीं होने को लेकर भाजपा राज्य सरकार पर हमलावर थी। अब मामला बिल्कुल उल्टा हो गया है। विधायक दल के नेता का चयन नहीं करने के कारण भाजपा अब खुद सत्तापक्ष के निशाने पर है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सत्तापक्ष को हमलावर होने का मौका मिल गया है।