भारत की सैन्य पृष्ठभूमि और रक्षा नीति
भारत की रक्षा नीति ऐतिहासिक रूप से आत्मनिर्भरता और बहुस्तरीय सैन्य साझेदारियों पर केंद्रित रही है। स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए रूस, अमेरिका, फ्रांस, और इज़राइल जैसे देशों के साथ सहयोग किया है।
- रूस: 1960 के दशक से भारत का सबसे विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता रहा है, जिसने मिग-21, Su-30MKI और ब्रह्मोस मिसाइल जैसी तकनीकों में सहयोग किया है।
- अमेरिका: 2000 के दशक के बाद से भारत-अमेरिका रक्षा संबंध तेजी से मजबूत हुए हैं, जिसमें P-8 Poseidon, C-17 Globemaster, और अब F-35 की संभावित डील शामिल है।
- फ्रांस: भारत ने 36 राफेल जेट खरीदे हैं और भविष्य में और अधिक राफेल या अन्य फ्रांसीसी रक्षा तकनीकों को अपनाने की संभावना है।
भारत का लक्ष्य न केवल आधुनिकतम हथियार प्रणालियों को हासिल करना है, बल्कि दीर्घकालिक रूप से स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी बढ़ावा देना है। आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत, भारत उन्नत मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर भी कार्य कर रहा है।
भारत के लिए चीन और पाकिस्तान से उत्पन्न खतरे
भारत को अपनी रक्षा रणनीति में चीन और पाकिस्तान से उत्पन्न खतरों को प्राथमिकता देनी होगी।
- चीन का सैन्य विस्तार: चीन तेजी से अपने सिक्स्थ जनरेशन फाइटर जेट्स विकसित कर रहा है। J-20 और भविष्य का J-31 भारत के लिए एक प्रमुख चुनौती हो सकते हैं। चीन की वायुसेना ने 200 से अधिक J-20 स्टील्थ फाइटर ऑपरेशनल कर लिए हैं, जो भारत के Su-30MKI और राफेल के लिए खतरा हैं।
- पाकिस्तान का उन्नत हो रहा वायु बेड़ा: पाकिस्तान ने चीन से JF-17 ब्लॉक-III और J-10C फाइटर जेट्स खरीदे हैं, जो AESA रडार और स्टेल्थ फीचर्स से लैस हैं। साथ ही, पाकिस्तान तुर्की और चीन के साथ मिलकर अपने ड्रोन सिस्टम को भी उन्नत कर रहा है।
- दो-मोर्चे का युद्ध: भारत को चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ संभावित दो-मोर्चे के युद्ध की संभावना को ध्यान में रखते हुए अपनी सैन्य रणनीति तैयार करनी होगी।
- हाइब्रिड युद्ध और ड्रोन हमले: चीन और पाकिस्तान ने अपने ड्रोन कार्यक्रमों को उन्नत किया है। पाकिस्तान ने Loitering Munitions और सशस्त्र ड्रोन के जरिए नियंत्रण रेखा (LoC) पर हमले करने की क्षमता विकसित की है।
फाइटर जेनरेशन की विस्तृत जानकारी

रूस बनाम अमेरिका: कौन सा लड़ाकू विमान बेहतर?
भारत के पास दो बड़े विकल्प हैं: रूसी Su-57 और अमेरिकी F-35। दोनों ही विमान पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट हैं, लेकिन इनके बीच कई तकनीकी और रणनीतिक अंतर हैं।

भारत की वायुसेना की मौजूदा स्थिति और जरूरतें
- भारतीय वायुसेना की वर्तमान स्क्वाड्रन संख्या 31 है, जबकि आवश्यक संख्या 42 मानी जाती है।
- मिग-21 जैसे पुराने विमान धीरे-धीरे रिटायर किए जा रहे हैं, जिससे नई पीढ़ी के विमानों की जरूरत और बढ़ जाती है।
- राफेल, तेजस, और Su-30 MKI जैसे चौथी पीढ़ी के विमान पहले से ऑपरेशन में हैं, लेकिन फिफ्थ जनरेशन के विमानों की जरूरत बनी हुई है।
क्या होना चाहिए भारत का अगला कदम?
भारत को F-35 और Su-57 दोनों के चयन में सामरिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
- F-35 को सीमित मात्रा में खरीदकर अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करना, जिससे भारत को पश्चिमी सैन्य गठबंधन में स्थान मिल सके।
- Su-57 के साथ पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण सुनिश्चित कर भारत में फिफ्थ जनरेशन एयरक्राफ्ट का उत्पादन बढ़ाना, जिससे दीर्घकालिक रक्षा आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हो सके।