व्हाइट हाउस में ऐतिहासिक भेंट । बैठक का उद्देश्य और विवाद की शुरुआत।
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Dated 01.02.2025 | अमेरिका के व्हाइट हाउस में कल जो कुछ हुआ, वह किसी के लिए भी अविश्वसनीय था। यह कल्पना से परे था कि किसी दूसरे देश के नेता अमेरिका के राष्ट्रपति से सीधे टकराव की स्थिति में आ सकते हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच इस बैठक में माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा।
व्हाइट हाउस में ऐतिहासिक भेंट
जब भी कोई वैश्विक नेता व्हाइट हाउस जाता है, तो आमतौर पर दोस्ताना माहौल देखने को मिलता है। लेकिन इस बार ओवल ऑफिस में स्थिति कुछ अलग थी। यूक्रेन और रूस के बीच तीन साल से जारी युद्ध को लेकर जब जेलेंस्की और ट्रंप आमने-सामने आए, तो पूरे विश्व की निगाहें इस बैठक पर टिकी थीं।
बैठक का उद्देश्य और विवाद की शुरुआत
डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही जेलेंस्की पर निशाना साधते हुए उन्हें “डिक्टेटर विदाउट इलेक्शन” कहा था, जिससे पहले ही तनाव बढ़ चुका था। इस बैठक का प्रमुख उद्देश्य अमेरिका द्वारा यूक्रेन को दी गई वित्तीय और सैन्य सहायता पर चर्चा करना था। ट्रंप का मानना था कि अमेरिका ने यूक्रेन को अनावश्यक रूप से अरबों डॉलर की सहायता दी है, जिसका उसे कोई ठोस लाभ नहीं मिला।
यूक्रेन से आर्थिक और सैन्य सहयोग की मांग
ट्रंप ने यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन को अमेरिका से मिली सहायता के बदले कुछ देना होगा। उन्होंने यूक्रेन के समृद्ध खनिज संसाधनों की ओर इशारा किया और कहा कि यूक्रेन को कम से कम 500 मिलियन डॉलर के क्रिटिकल मिनरल्स अमेरिका को देने होंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यूरोपीय देश, विशेष रूप से जर्मनी और फ्रांस, इस युद्ध में अमेरिका जितना योगदान नहीं दे रहे हैं, जो कि अनुचित है।
मीटिंग के दौरान तीखी बहस
बैठक शुरू होने के कुछ ही मिनटों में स्थिति बिगड़ने लगी।
मीडिया के सामने अप्रत्याशित झगड़ा
बैठक के दौरान ही दोनों नेताओं के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि मीडिया के सामने ही दोनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने लगे। ट्रंप ने जेलेंस्की से कहा, “डील करो या हम बाहर निकल जाएंगे।” इस पर जेलेंस्की ने पलटवार करते हुए कहा कि वे यूक्रेन की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेंगे।
अमेरिकी प्रशासन की प्रतिक्रिया
बैठक के बाद, अमेरिकी प्रशासन की ओर से एक बयान जारी किया गया जिसमें ट्रंप ने कहा, “हमने यूक्रेन को 350 मिलियन डॉलर की सहायता दी है, और हमने बहुत सारी सैन्य सामग्री भी प्रदान की है। अगर अमेरिका ने यूक्रेन को समर्थन नहीं दिया होता, तो युद्ध बहुत पहले खत्म हो गया होता।”
यूरोप और विश्व नेताओं की प्रतिक्रिया
यूरोप के नेताओं ने इस बैठक को निराशाजनक करार दिया। फ्रांस और जर्मनी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि बैठक में शांति के लिए कोई सकारात्मक कदम उठाया जाएगा, लेकिन इसके बजाय टकराव देखने को मिला।
आगे की राह
अब सवाल यह उठता है कि अमेरिका-यूक्रेन संबंधों का भविष्य क्या होगा? क्या ट्रंप प्रशासन की यह नीति यूक्रेन के लिए घातक साबित होगी, या यह केवल एक कूटनीतिक दांव था? आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जेलेंस्की और ट्रंप के बीच कोई नया समझौता हो सकता है।
निष्कर्ष
व्हाइट हाउस में हुई इस बैठक ने अमेरिका और यूक्रेन के संबंधों को एक नई दिशा में मोड़ दिया है। ट्रंप की “ट्रांजैक्शनल डिप्लोमेसी” और जेलेंस्की के अडिग रुख के कारण यह बैठक इतिहास में दर्ज हो गई है। अब देखना होगा कि भविष्य में यह संबंध किस दिशा में जाते हैं और क्या यह तनावपूर्ण माहौल किसी समझौते में बदल सकता है।