प्रताड़ना, घूसखोरी और सिस्टम से तंग बेंगलूरु में निजी कंपनी के उपमहाप्रबंधक ने मौत को गले लगा लिया। मौत से पहले सुसाइड नोट लिखकर न्याय मांगा और न्यायिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाया। सुसाइड नोट में लिखा कि उसके वीडियो और कथन को ही साक्ष्य माना जाए। यदि उसे न्याय नहीं मिला तो उसके शव को कोर्ट के बाहर गटर में बहा दिया जाए।
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नई दिल्ली। प्रताड़ना, घूसखोरी और सिस्टम से तंग बेंगलूरु में निजी कंपनी के उपमहाप्रबंधक ने मौत को गले लगा लिया। मौत से पहले सुसाइड नोट लिखकर न्याय मांगा और न्यायिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाया। सुसाइड नोट में लिखा कि उसके वीडियो और कथन को ही साक्ष्य माना जाए। यदि उसे न्याय नहीं मिला तो उसके शव को कोर्ट के बाहर गटर में बहा दिया जाए।
पत्नी व उसके परिवार की प्रताड़ना और दो वर्ष में कोर्ट की 120 तारीखें इसके बावजूद न्याय न मिलने के कारण 34 वर्षीय AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने मौत को चुना। अतुल ने दुनिया से जाने से पहले करीब डेढ़ घंटे का वीडियो व 24 पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें शादीशुदा जिंदगी के सामाजिक तानेबाने की खामियां, साथी के लालच और षड्यंत्र की दास्तां, कानूनी महकमे में भ्रष्टाचार को उजागर किया।
घटना में मराठाहल्ली पुलिस ने अतुल के भाई विकास कुमार की शिकायत पर अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया समेत चार लोगों के खिलाफ बीएनएस की धारा 108 और 3(5) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। निकिता सिंघानिया, उसकी मां निशा सिंघानिया, भाई अनुराग सिंघानिया और चाचा सुशील सिंघानिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। सूचना पर मंजूनाथ लेआउट स्थित फ्लैट पर पहुंची पुलिस को उनका शव पंखे से लटकते मिला। सुसाइड नोट के मुताबिक अतुल सुभाष बंगलूरू में एक निजी कंपनी में उपमहाप्रबंधक पद पर कार्यरत थे। 2019 में जौनपुर की निकिता सिंघानिया से शादी हुई और एक साल बाद ही बेटा हो गया।
पत्नी ने अतुल सुभाष पर दर्ज कराए 9 केस
सुसाइड नोट के मुताबिक, पत्नी निकिता एक आईटी कंपनी में नौकरी करती है। 2021 में पत्नी बेटे को लेकर मायके जौनपुर आ गई और अतुल व उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, हत्या की कोशिश, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने समेत 9 अलग-अलग मामले दर्ज करा दिए। 40 हजार रुपये महीना के गुजारा भत्ता के अलावा दो लाख की और मांग की। अतुल ने सुसाइड नोट में लिखा कि उनके खिलाफ नौ मामलों में छह के मुकदमे ट्रायल कोर्ट और तीन हाईकोर्ट में थे। दो साल में कोर्ट की 120 तारीखें लगीं, जिससे पूरी तरह टूट गया। अतुल ने लिखा, इस सिस्टम ने मुझे न्याय नहीं दिया, मेरा फैसला बाकी है।
पत्नी ने कहा था-सब मरते हैं तो तुम क्यों नहीं मर जाते? तो लो वही सही
सुसाइड नोट में जौनपुर की परिवार अदालत की एक सुनवाई का जिक्र करते हुए अतुल ने कहा कि उन्होंने जज के समक्ष जब बताया कि उनकी पत्नी ने झूठे मामले दर्ज किए हैं, तो जज ने कहा, तो क्या हुआ? वह आपकी पत्नी है और यह आम बात है।
अतुल ने कहा कि झूठे मामलों के कारण कई लोग मर जाते हैं, तो निकिता ने कहा कि आप भी ऐसा क्यों नहीं करते? इस पर जज ने जोर से ठहाका लगाया। अतुल ने लिखा, पत्नी ने ही मुझे सही रास्ता दिखाया। मर जाना ही इन सब का अंत है। अतुल ने बताया कि उनकी पत्नी ने शुरू में 1 करोड़ रुपये की मांग की, बाद में मांग बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये कर दी।
अतुल ने सुसाइड नोट में कुछ अंतिम इच्छाएं भी लिखीं। उन्होंने साफ किया कि मरने के बाद पत्नी और उसके परिवार वालों को शव के पास भी नहीं आने दिया जाए। बेटे की कस्टडी उनके माता-पिता को दी जाए, क्योंकि पत्नी उसे अच्छे संस्कार देकर नहीं पाल सकती। अतुल ने लिखा कि उनकी अस्थियों का विसर्जन तब तक न किया जाए जब तक पत्नी और उसके परिजनों को सजा नहीं हो जाती। अगर उन्हें सजा न हो तो उनकी अस्थियों को अदालत के बाहर गटर में ही बहा दिया जाए।