यूपी के कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी का मंगलवार की शाम निधन हो गया। काफी समय से बीमार चल रहे हरिशंकर तिवारी ने अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
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गोरखपुर। यूपी के कद्दावर नेता रहे पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी का मंगलवार की शाम निधन हो गया। काफी समय से बीमार चल रहे हरिशंकर तिवारी ने अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह 90 साल के थे। पूर्व मंत्री के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा।
हरिशंकर तिवारी की शवयात्रा बुधवार को तिवारीहाता गोरखपुर से सुबह 10 बजे निकली, जो नौसढ़, बाघागाड़ा, महावीर छपरा, डवरपार, बेलीपार, कसिहार, कौड़ीराम, भलुवान, गगहा, मझगांवा, हाटा, साउंखोर होते हुए पैतृक गांव टांड़ा बड़हलगंज पहुंची। अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को नेशनल पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज बड़हलगंज में रखा गया। इसके बाद सरयू तट मुक्तिपथ बड़हलगंज पर दाह-संस्कार हुआ।
बताते चलें कि चिल्लूपार सीट से कई बार विधायक रहे हरिशंकर तिवारी यूपी में कई सरकारों में मंत्री रह चुके थे। अपने क्षेत्र में ही नहीं बल्कि यूपी की राजनीति में उनका खासा नाम था। पूर्वांचल के सियासी समीकरणों को नए सिरे से साधने वाले हरिशंकर तिवारी 1985 से 2007 तक लगातार विधायक रहे। जेल में रह कर पहला चुनाव जीतने वाले हरिशंकर तिवारी का अरसे तक प्रदेश में खासा प्रभाव रहा।
1985 में हरिशंकर तिवारी ने जेल से ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस को चुनौती देकर चुनाव जीता। गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी की छवि अलग रही। वो 1985 में चिल्लूपार की विधानसभा सीट से चुनाव जीते और विधायक बने। हरिशंकर तिवारी ने यह चुनाव अपनी पहचान और अपने दम पर जीता क्योंकि वह निर्दलीय थे । बाद में इसी सीट से वह कुल छह बार चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे और पांच बार कैबिनेट मंत्री बने।
सभी दलों की पसंद रहें हरिशंकर तिवारी
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हरिशंकर तिवारी ने जब कांग्रेस उम्मीदवार को बड़े अंतर से शिकस्त दी तब उनके रसूख को भांपते हुए कांग्रेस ने भी अगले चुनाव में उन्हें टिकट दे दिया और 2007 तक गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से उनकी जीत का सिलसिला चलता रहा। 1998 में कल्याण सिंह ने अपनी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया, तो बीजेपी के ही अगले मुख्यमंत्री बने रामप्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह सरकार में भी वह मंत्री बने। इसके बाद मायावती सरकार में मंत्री बने और 2003 से 2007 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी मंत्री बने रहे। यहां तक कि जब जगदंबिका पाल सूबे के एक दिन के सीएम बने तो उनकी कैबिनेट में भी वह मंत्री थे।