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सियासी राहः सपा-कांग्रेस में बढ़ी दूरियां, क्या है मजबूरियां

किसी को सिर पर बैठाकर नीचे कैसे उतारते है..ये कोई कांग्रेस से सीखे...तीन की तिकड़ी बिखर गई है...या फिर गठबंधन की हवा निकल गई है... तस्वीर मे दिख रही ये दूरीयां मात्र कुछ मिटर की होगी लेकिन सियासत में इन दुरियों के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है...कुछ महिने पहले की बात है जब ये INDIA गठबंधन के तीन लोग सदन में एक साथ बैठे दिखाई देते थे अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन जाने के बाद हुए पहले चुनाव में ही बीजेपी की हार हुई थी

By HO BUREAU 

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लखनऊ। किसी को सिर पर बैठाकर नीचे कैसे उतारते है..ये कोई कांग्रेस से सीखे…तीन की तिकड़ी बिखर गई है…या फिर गठबंधन की हवा निकल गई है… तस्वीर मे दिख रही ये दूरीयां मात्र कुछ मिटर की होगी लेकिन सियासत में इन दुरियों के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है…कुछ महिने पहले की बात है जब ये INDIA गठबंधन के तीन लोग सदन में एक साथ बैठे दिखाई देते थे अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन जाने के बाद हुए पहले चुनाव में ही बीजेपी की हार हुई थी.

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बीजेपी को हराने वाले समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद पहली बार सांसद बनकर रातोंरात स्टार बन गए. राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने संसद में बीजेपी को चिढ़ाने के लिए अवधेश प्रसाद को पोस्टर बॉय बना दिया. अपने साथ, अपने बगल में विपक्ष की बेंच पर बिल्कुल पहली बेंच पर सीट दिला दी. जुलाई में भाषण देते हुए राहुल गांधी ने बगल में बैठे अवधेश प्रसाद से हैंडशेक करके बीजेपी के जले पर नमक छिड़का था…..

लेकिन अब दूर करके कांग्रेस ने सपा से शायद हिसाब किताब बराबर किया है और बता दिया की देश में वो एकमात्र सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है…   वही  2027 के लिए कांग्रेस ने एक्टिव किया बी प्लान…. नई टीम नई रणनीति के साथ भाजपा ही नहीं सपा को भी झटका देने की तैयारी… संसद में राहुल अखिलेश में डिस्टेंस…. विधासनभा चुनाव में गठबंधन बरकरार रखने को लेकर सस्पेंस

2024 लोकसभा चुनाव में ताकत बढ़ी तो कांग्रेस का हौसला बढ़ गया… अब कांग्रेस सियासत के पिच पर दबकर नहीं खुलकर खेल रही है…कांग्रेस का अगला लक्ष्य उत्तर प्रदेश में खुद को स्थापित करने पर है….ऐसे में 2027 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ऐसी टीम बनाने के प्लान में है…जो मौका आने पर भाजपा ही नहीं सपा को भी चित्त कर दे… कांग्रेस महासचिव ने के सी वेणुगोपाल ने नई टीम बनाने के लिए यूपी में जिला, शहर और ब्लॉक इकाई को भंग कर दिया है….कांग्रेस भले यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में है…

लेकिन संसद में राहुल और अखिलेश में दूरी और यूपी में समय समय पर कांग्रेस सपा नेताओं में सीनाजोरी से तय है कि कांग्रेस सपा के सहारे नहीं रहने वाली… और 2027 में कांग्रेस सपा के साथ रहेगी ये कोई जरूरी नहीं क्योंकि भले सपा के साथ आने से कांग्रेस को 6 सांसद बनाने में सफलता मिली लेकिन कांग्रेस आलाकमान को ये पता है कि जब तक सपा ताकतवर रहेगी यूपी में कांग्रेस कभी पैरों पर नहीं खड़ी हो सकती….

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ऐसे में 90 के दशक से पहले वाले अल्पसंख्यक वोटर्स को पाने के लिए कांग्रेस नई रणनीति बना सकती है जो सपा से परे होगी… संसद में राहुल अखिलेश की दूरी भी ये संदेश है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि वह सपा पर डिपेंड हो जाए जिससे उसके बचे खुचे वोटर्स और नेता भी पार्टी छोड़ दे….फिलहाल अखिलेश यादव ने भी एक इंटरव्यू में ये कहकर कांग्रेस को झटका दिया था कि कांग्रेस भी भाजपा जैसी पार्टी थी ….और जैसे वह खत्म हुई भाजपा भी खत्म हो जाएगी

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