हिंसा कैसे भड़की? औरंगजेब की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
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महाराष्ट्र के नागपुर शहर में भड़की हिंसा के कारण प्रशासन ने 11 इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है। 17 मार्च 2025 को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के दौरान हुए एक प्रदर्शन के बाद यह हिंसा भड़की, जिससे पूरे शहर में तनाव का माहौल बन गया। हिंसा के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें से तीन डीसीपी रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं। इसके अलावा, पाँच आम नागरिक भी घायल हुए हैं।
हिंसा कैसे भड़की? (Nagpur Riots Latest Update)
हिंसा की शुरुआत तब हुई जब प्रदर्शनकारियों ने औरंगजेब की प्रतीकात्मक कब्र को नुकसान पहुंचाया और उसका पुतला जलाया। इसके बाद कुछ समुदायों में आक्रोश फैल गया और देखते ही देखते दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए। हालात बिगड़ने पर पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और शहर के विभिन्न इलाकों में कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया गया।
प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान 12 बाइक, कई कारें और एक जेसीबी में आग लगा दी। घटना को लेकर पूरे महाराष्ट्र में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।
इतिहास और विवाद की जड़ (Aurangzeb vs Sambhaji Maharaj History)
महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे, संभाजी महाराज को औरंगजेब द्वारा दी गई यातनाओं का जिक्र कई बार किया जाता है। हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म ‘छावा’ ने इस ऐतिहासिक घटना को फिर से जीवंत कर दिया, जिससे लोगों में औरंगजेब के प्रति आक्रोश बढ़ गया।
भाजपा सांसद उदयनराजे भोसले और अन्य नेताओं ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है, जिसे लेकर पूरे राज्य में बहस छिड़ गई है। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने इस विवाद को भड़काने वाला बयान दिया था, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
धार्मिक विवाद और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
औरंगजेब की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
औरंगजेब, जिनका पूरा नाम अबुल मुज़फ्फर मुहिउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब आलमगीर था, मुगल साम्राज्य के छठे शासक थे। वे 1658 में अपने पिता शाहजहाँ को सत्ता से हटाकर मुगल सिंहासन पर बैठे। उनका शासनकाल (1658-1707) मुगल इतिहास का सबसे लंबा था, लेकिन यह धार्मिक कट्टरता, सैन्य अभियानों और दक्षिण भारत में मराठाओं से संघर्ष के लिए जाना जाता है।
औरंगजेबने कई सख्त इस्लामी कानून लागू किए, जिनमें जज़िया कर की पुनः स्थापना भी शामिल थी। उनका मुख्य उद्देश्य संपूर्ण भारत को मुगल शासन के अधीन लाना था, जिसके लिए उन्होंने दक्षिण भारत में कई वर्षों तक सैन्य अभियान चलाए।
संभाजी महाराज की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
संभाजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे। वे 1681 में मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति बने और अपने शासनकाल में मुगलों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया। शिवाजी महाराज की तरह, संभाजी ने भी मुगलों की विस्तारवादी नीतियों का डटकर मुकाबला किया।
संभाजी बुद्धिमान, निडर और कुशल सेनानायक थे, लेकिन उनके शासनकाल में कई चुनौतियाँ आईं, जिनमें आंतरिक विद्रोह और औरंगजेब के लगातार आक्रमण प्रमुख थे।
संभाजी और औरंगजेब का टकराव:
संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच संघर्ष 1681 में तेज हुआ, जब औरंगजेब ने दक्षिण भारत में अपना पूर्ण सैन्य अभियान शुरू किया। औरंगजेब ने संभाजी को अपने शासन के अधीन करने की कई कोशिशें की, लेकिन मराठाओं की गुरिल्ला युद्ध नीति और वीरता के कारण वह सफल नहीं हो पाया। हालांकि, 1689 में गणेशपुर के निकट मुगलों ने संभाजी महाराज को विश्वासघात के कारण बंदी बना लिया।
संभाजी की शहादत:
औरंगजेब ने संभाजी महाराज पर इस्लाम कबूल करने का दबाव डाला, लेकिन उन्होंने इसे दृढ़ता से ठुकरा दिया। इसके बाद, औरंगजेब ने उन्हें कठोर यातनाएँ दीं और अंततः 1689 में उनकी क्रूर हत्या करवा दी। इस घटना ने मराठाओं को और अधिक एकजुट कर दिया और यह मुगलों के पतन की नींव का कारण बना।
संभाजी महाराज की शहादत ने मराठाओं में प्रतिरोध की भावना को और मजबूत किया और आगे चलकर यह मुगलों के पतन का एक महत्वपूर्ण कारण बना। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की वजह से आज भी महाराष्ट्र में औरंगजेब को नकारात्मक रूप में देखा जाता है, जिससे इस तरह के विवाद बार-बार उभरते रहते हैं।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया (Nagpur Curfew Update)
हिंसा के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है। पुलिस ने अब तक 50 लोगों को गिरफ्तार किया है और हिंसा फैलाने वाले असामाजिक तत्वों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। संभाजी नगर (पूर्व में औरंगाबाद) में औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
विपक्षी दलों ने इस हिंसा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने हिंसा भड़काने वालों पर समय पर कार्रवाई नहीं की। वहीं, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि इस तरह की घटनाएं राज्य की छवि को नुकसान पहुंचा रही हैं।
आगे की राह (Future of Communal Peace in Maharashtra)
नागपुर में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस लगातार पेट्रोलिंग कर रही है और प्रशासन लोगों से संयम बरतने की अपील कर रहा है। स्थानीय नेताओं और सामाजिक संगठनों से भी हिंसा को रोकने और सौहार्द बनाए रखने की अपील की गई है।
क्या इस तरह की घटनाओं से इतिहास के पुराने घाव कुरेदना सही है? यह विवाद जल्द शांत होगा या और बढ़ेगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।