भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 दिसंबर को भुवनेश्वर ( ओडिशा) में ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दीक्षांत समारोह का दिन छात्रों के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग खोलता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अब एक अलग पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवेश कर रहे हैं जिसमें उन्हें वास्तविक दुनिया की स्थितियों में अपने ज्ञान और कौशल की कठोर परीक्षाओं का सामना करना पड़ेगा। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अर्जित ज्ञान और कौशल के सर्वोत्तम अनुप्रयोग के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण में योगदान दें।
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नई दिल्ली। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 दिसंबर को भुवनेश्वर ( ओडिशा) में ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दीक्षांत समारोह का दिन छात्रों के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग खोलता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अब एक अलग पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवेश कर रहे हैं जिसमें उन्हें वास्तविक दुनिया की स्थितियों में अपने ज्ञान और कौशल की कठोर परीक्षाओं का सामना करना पड़ेगा। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे अर्जित ज्ञान और कौशल के सर्वोत्तम अनुप्रयोग के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण में योगदान दें।
उन्होंने उनसे अपने नवीन विचारों और समर्पित कार्यों के माध्यम से 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के राष्ट्रीय लक्ष्य में योगदान देने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि एक समय था जब हम खाद्यान्न के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे। अब हम खाद्यान्न और अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। यह हमारे कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन और हमारे किसानों की अथक मेहनत से संभव हुआ है।राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि और किसानों के विकास के बिना देश का समग्र विकास संभव नहीं है. कृषि, मत्स्य उत्पादन एवं पशुधन के विकास से हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है।
उन्होंने कहा कि आज कृषि को प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव, प्रति व्यक्ति कृषि का घटता आकार और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन जैसी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे वैज्ञानिकों को समय पर तकनीक विकसित और प्रसारित करनी होगी। हमें पर्यावरण संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य संरक्षण, जल एवं मृदा संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग पर जोर देना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि बढ़ते तापमान और ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि जैसे जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दे कृषि उत्पादन को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे सभी मुद्दों से निपटने की कृषि वैज्ञानिकों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग भी हमारे कृषि क्षेत्र के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है। मिट्टी, पानी और पर्यावरण पर इनका दुष्प्रभाव सभी के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा वैज्ञानिक इन समस्याओं का समाधान ढूंढ लेंगे।