मिल्कीपुर में अंतिम चुनावी युद्ध होना। जिससे पहले सियासत चुस्त दुरुस्त नजर आ रहा है। 27 से पहले होने वाले मिल्कीपुर के उपचुनाव में मिली जीत और हार कई सियासी तस्वीरे साफ करेगी।27 विभानसभा चुनाव में हिंदुत्व कार्ड चलेगा या फिर PDA की बात चलेगी। मिल्कीपुर सीट को जीत कर बीजेपी अपने उस दर्द पर मरहम लगाना चाहती है जिस नब्ज को बोर बोर विपक्षी पार्टीया दबा रही है। योगी आदित्यनाथ इस कलंक को धुलना चाहते हैं।
Updated Date
लखनऊ। मिल्कीपुर में अंतिम चुनावी युद्ध होना। जिससे पहले सियासत चुस्त दुरुस्त नजर आ रहा है। 27 से पहले होने वाले मिल्कीपुर के उपचुनाव में मिली जीत और हार कई सियासी तस्वीरे साफ करेगी।27 विभानसभा चुनाव में हिंदुत्व कार्ड चलेगा या फिर PDA की बात चलेगी। मिल्कीपुर सीट को जीत कर बीजेपी अपने उस दर्द पर मरहम लगाना चाहती है जिस नब्ज को बोर बोर विपक्षी पार्टीया दबा रही है। योगी आदित्यनाथ इस कलंक को धुलना चाहते हैं।
लोकसभा चुनावों में अयोध्या की हार को अभी तक भारतीय जनता पार्टी भूली नहीं है।सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए भी यह एक बहुत बड़ा झटका था। दूसरी बार मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद सीएम योगी ने सर्वाधिक यात्राएं अयोध्या की ही की थीं। प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश की गिनती की जाए तो जितना विकास अयोध्या में हुआ था उतना विकास भी कहीं नहीं हुआ था।
लोकसभा चुनावों से कुछ दिन पहले ही अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भी शिलान्यास हुआ था। जो इस क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। लाखों टूरिस्टों के आवागमन का रास्ता क्लीयर होने के चलते हजारों लोगों को रोजी रोजगार के भी रास्ते यहां खुले। पर अयोध्या लोकसभा सीट बीजेपी नहीं जीत सकी. और सपा की साइकिल दौड़ पड़ा।
अयोध्या सीट से जीतने वाले अवधेश पासी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी थे और उन्होंने यह सीट जीतकर इतिहास रच दिया।. ऐसे में खुज साएम योगी इसकी कमान थाम कर कार्यकर्ताओं मे उत्साह भर रहे है। जीत का मंत्र दे रहे है।वही सपा भी चिंतन और मंथन कर रही है ताकी नतीजा बौसा ना जो 24 के उपचुनाव के दौरान हुआ। वहीं देखना ये भी अहम होगा की क्या INDIA गठबंधन की गाठ खुल जाती है या फिर उपर ही मन से सब कुथ चलता रहता है।क्या क्या उपचुनाव के बाद योगी-8 और अखिलेश-2 ? या नहीं।