उत्तराखंड में निकाय चुनाव के लिए 30 दिसंबर को नामांकन का अंतिम दिन था। इसलिए सभी दलों के घोषित प्रत्याशी सोमवार को नामांकन करते हुए नजर आए। लेकिन निकाय चुनाव के बीच कांग्रेस के लिए मुसीबत ज्यादा बड़ी हो गई है क्योंकि यहां पर पार्टी के ज्यादातर नेता टिकट बंटवारे से नाखुश नजर आ रहे हैं।
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देहरादून। उत्तराखंड में निकाय चुनाव के लिए 30 दिसंबर को नामांकन का अंतिम दिन था। इसलिए सभी दलों के घोषित प्रत्याशी सोमवार को नामांकन करते हुए नजर आए। लेकिन निकाय चुनाव के बीच कांग्रेस के लिए मुसीबत ज्यादा बड़ी हो गई है क्योंकि यहां पर पार्टी के ज्यादातर नेता टिकट बंटवारे से नाखुश नजर आ रहे हैं।
निकाय चुनाव में सभी लोग बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी कर रहे हैं क्योंकि यह राजनीति का पहला चुनाव है। और इस चुनाव में सभी लोग अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं लेकिन राजनीतिक दलों के लिए चुनाव मुसीबत बनते हुए नजर आ रहे हैं। नामांकन के आखिरी दिन तक राजनीतिक दल अपने नाराज नेताओं को मानते हुए नजर आ रहे हैं जबकि कई ऐसे नेता है जो टिकट बंटवारे से नाराज है और बगावती सुर अपना कर चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भी कर रहे है।
भाजपा के लिए सबसे ज्यादा टिकट बंटवारे में मुश्किल थी लेकिन पार्टी ने उसे भी सोच समझकर करने का निर्णय लिया और एक-एक करके पहले नगर पंचायत और नगर पालिका के अध्यक्ष पदों पर प्रत्याशियों की घोषणा की। फिर नगर निगम में मेयर पदों पर प्रत्याशियों की घोषणा करते हुए नजर आए , जिससे डैमेज कंट्रोल करने में उसे आसानी हो गई ।
लेकिन कांग्रेस के लिए निकाय चुनाव फिर मुसीबत बन गया है। क्योंकि पार्टी के चाहे टिहरी में हो चाहे पौड़ी में हो या फिर दूसरी नगर पालिका में हो कई नाराज नेता तो निर्दलीय के तौर पर नामांकन कर चुके हैं। संगठन में वरिष्ठ नेता और उपाध्यक्ष का पदभार संभाल रहे मथुरा दत्त जोशी भी टिकट बंटवारे से नाराज है और कहीं अज्ञातवास में चले गए है। जबकि दूसरे उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना पर पैसे के बदले टिकट लेने के आरोप लग रहे हैं।
बीजेपी में मेयर पद के प्रत्याशी सौरभ थपलियाल हो या विधायक खजान दास , उमेश शर्मा सभी लोग अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। क्योंकि उनका संगठन जनता के बीच कम कर रहा है और अपनी पकड़ मजबूत बनाने में जुड़ा है । भाजपा के मेयर पर प्रत्याशी तो अपनी प्राथमिकताएं भी जनता को गिराने में जुट चुके हैं कि किस प्रकार से देहरादून को वापस सुंदर देहरादून बनाना है।
कांग्रेस भी निकाय चुनाव में जीत के दावे तो कर रही है लेकिन यह जीत कैसे मिलेगी इसका पता नहीं है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा हो या पार्टी के मेयर पद प्रत्याशी वीरेंद्र पोखरियाल सभी को उम्मीद है कि सरकार की जन विरोधी नीतियों के चलते जनता विपक्ष के साथ खड़ी है।
निकाय चुनाव को लेकर भाजपा कांग्रेस जीत के दावे तो कर रहे हैं लेकिन डैमेज कंट्रोल कैसे करेंगे इसका खुलासा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि नाराज नेता गुजरते वक्त के साथ इन राजनीतिक दलों की मुश्किल है बढ़ाने में जुटे हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में जनता त्रिकोणीय मुकाबले को देख रही है जो भाजपा और कांग्रेस की सियासी गणित बिगाड़ सकती है।