World News: 24 जनवरी 2025 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बर्थराइट सिटिजनशिप से संबंधित नीति में किए गए बदलावों ने न केवल अमेरिका में, बल्कि दुनिया भर में चर्चा को जन्म दिया है। इस नीति में बदलाव का मुख्य उद्देश्य अवैध प्रवासियों की संख्या को नियंत्रित करना और अमेरिकी नागरिकता के दुरुपयोग को रोकना बताया गया है। इस लेख में हम इस नीति के विभिन्न पहलुओं, इसके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, भारतीय प्रवासियों पर इसके प्रभाव, और भारत के नागरिकता कानूनों से तुलना करेंगे।
बर्थराइट सिटिजनशिप: अमेरिकी संविधान का ऐतिहासिक प्रावधान
अमेरिकी संविधान का 14वां संशोधन, जो 1868 में पारित हुआ था, बर्थराइट सिटिजनशिप का आधार है। इसके तहत अमेरिका में जन्मे हर व्यक्ति को अमेरिकी नागरिकता प्रदान की जाती है, चाहे उनके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो। यह नीति 155 वर्षों से लागू है और इसे अब तक किसी राष्ट्रपति द्वारा चुनौती नहीं दी गई थी।
ट्रंप ने अपने कार्यकाल में इस नीति पर रोक लगाने का आदेश जारी किया। इसके अनुसार, अब अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों को तभी नागरिकता मिलेगी, जब उनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक या वैध प्रवासी होंगे।
नीति में बदलाव के पीछे का तर्क
ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि अवैध प्रवासियों द्वारा इस नीति का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है। अमेरिका में हर साल हजारों प्रवासी सिर्फ इस उद्देश्य से आते हैं कि उनके बच्चे को अमेरिकी नागरिकता मिल सके।
इसके अलावा, बर्थ टूरिज्म भी एक बढ़ता हुआ चलन है, जहां भारतीय, चीनी, और अन्य देशों के लोग टूरिस्ट वीजा पर अमेरिका जाकर अपने बच्चों को जन्म देते हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि अमेरिकी नागरिकता के साथ वहां की स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, और सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलता है।
भारतीय प्रवासियों पर प्रभाव
- अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय: अमेरिकी सेंसर रिपोर्ट के अनुसार, 48 लाख से अधिक भारतीय-अमेरिकी नागरिक वर्तमान में अमेरिका में रहते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जिन्होंने बर्थराइट सिटिजनशिप के माध्यम से वहां की नागरिकता प्राप्त की है। ट्रंप की नई नीति के कारण उनकी योजनाओं पर गहरा असर पड़ा है।
- ग्रीन कार्ड और वीजा पर असर: जिन भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकता के लिए अपने बच्चों की योजना बनाई थी, उनकी उम्मीदों को झटका लगा है। ग्रीन कार्ड और स्थायी नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया अब और कठिन हो गई है।
- आर्थिक योगदान: भारतीय-अमेरिकी समुदाय हर साल अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 300 अरब डॉलर का योगदान देता है। ऐसे में इस समुदाय पर दबाव बढ़ने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है।
- प्रवासियों की वापसी: ट्रंप के आदेश के अनुसार, 18,000 भारतीयों को अमेरिका छोड़कर भारत लौटने का आदेश दिया गया है। यह केवल शुरुआत है, और यह संख्या आगे बढ़ सकती है।
- सी-सेक्शन डिलीवरी का दबाव: 30 दिन की समयसीमा के कारण कई माता-पिता ने सी-सेक्शन के माध्यम से बच्चों को जल्दी जन्म दिलाने का विकल्प चुना। हालांकि यह स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन अमेरिकी नागरिकता की चाहत में कई परिवारों ने इस विकल्प को अपनाया।
- बच्चों की नागरिकता और माता-पिता का भविष्य: भारतीय प्रवासी परिवारों ने अक्सर अपने बच्चों की अमेरिकी नागरिकता को आधार बनाकर ग्रीन कार्ड और अन्य सुविधाओं के लिए आवेदन किया। नई नीति से यह प्रक्रिया और कठिन हो गई है।
- टेक्नोलॉजी और शिक्षा: भारतीय प्रवासी अमेरिका की शिक्षा और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इनमें से कई प्रवासी स्टार्टअप्स और नई तकनीकों को बढ़ावा देते हैं। ट्रंप की नीति से यह सकारात्मक योगदान बाधित हो सकता है।
क्या ट्रंप इस बदलाव को लागू कर पाएंगे?
ट्रंप द्वारा प्रस्तावित यह बदलाव पूरी तरह से लागू नहीं हो सका है, क्योंकि यह अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन से सीधे टकराता है। अमेरिकी कानून के तहत, किसी भी संवैधानिक संशोधन के लिए कांग्रेस और राज्य विधानसभाओं की स्वीकृति आवश्यक होती है। ट्रंप प्रशासन को इस बदलाव को लागू करने के लिए:
- कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा: ट्रंप को अमेरिकी कांग्रेस में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना होगा। इसके बाद यह प्रस्ताव राज्यों की विधानसभाओं में जाएगा, जहां इसे 38 राज्यों की सहमति चाहिए होगी।
- संवैधानिक अदालत का समर्थन: यह नीति संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला बन सकती है। इसलिए, इसे लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का समर्थन अनिवार्य है।
- राजनीतिक समर्थन: ट्रंप को न केवल रिपब्लिकन पार्टी के पूर्ण समर्थन की आवश्यकता होगी, बल्कि डेमोक्रेट्स से भी सहयोग चाहिए होगा। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि डेमोक्रेट्स इस बदलाव के विरोध में हैं।
भारत के नागरिकता कानून की तुलना
भारत का नागरिकता कानून, अमेरिका से भिन्न है।
- जन्म आधारित नागरिकता: भारत में केवल उन बच्चों को नागरिकता दी जाती है, जिनके माता-पिता में से कम से कम एक भारतीय नागरिक हो। अवैध प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता नहीं मिलती।
- राइट ऑफ ब्लड: भारत में नागरिकता माता-पिता की स्थिति पर निर्भर करती है, न कि जन्म स्थान पर। यह राइट ऑफ ब्लड पर आधारित है, जबकि अमेरिका में यह राइट ऑफ सॉइल पर आधारित था।
- अवैध प्रवासी: भारत में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता प्रदान नहीं की जाती, जबकि अमेरिका में पहले यह संभव था।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA): भारत ने हाल ही में नागरिकता संशोधन अधिनियम पारित किया, जो विशिष्ट परिस्थितियों में पड़ोसी देशों से आने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है। यह अधिनियम भी विवादों के घेरे में रहा है।
- प्रवासी भारतीयों का योगदान: भारतीय प्रवासी समुदाय न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान देता है, बल्कि वे अपने अनुभवों और तकनीकी ज्ञान से भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत करते हैं।
ट्रंप की नीति और संबंधित विवाद
- कानूनी चुनौती: ट्रंप के आदेश के खिलाफ 22 अमेरिकी राज्यों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि संविधान संशोधन के बिना इस नीति को समाप्त करना अवैध है।
- संविधान संशोधन: 14वें संशोधन को हटाने के लिए अमेरिकी कांग्रेस में दो-तिहाई बहुमत और राज्यों की सहमति आवश्यक होगी।
- डबल मानक का आरोप: ट्रंप पर यह भी आरोप लगाए गए हैं कि उनके परिवार ने भी बर्थराइट सिटिजनशिप का लाभ उठाया है। उदाहरण के लिए, उनकी पहली पत्नी और बच्चों को इसी आधार पर नागरिकता मिली थी।
- प्रवासी समुदाय की चिंता: ट्रंप की नीति ने भारतीयों समेत कई प्रवासी समुदायों को चिंतित कर दिया है।
- प्राकृतिक अधिकार बनाम कानूनी अधिकार: ट्रंप प्रशासन ने इसे एक राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताया है, लेकिन कई विशेषज्ञ इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- बर्थ टूरिज्म का उभरता ट्रेंड: भारतीय महिलाओं द्वारा तीसरे-चौथे महीने में अमेरिका जाकर बच्चे को जन्म देने का चलन बढ़ रहा था। ट्रंप की नई नीति ने इस पर रोक लगाने की कोशिश की है।
- अमेरिका में नौकरियों का सृजन: भारतीय प्रवासी अमेरिका में 4.5 लाख नौकरियों का सृजन कर चुके हैं। यह नीति इस सकारात्मक प्रवृत्ति को भी प्रभावित कर सकती है।
- भारत की प्रतिक्रिया: भारत सरकार ने अमेरिका में बसे भारतीयों की वापसी के लिए तैयारियां शुरू की हैं। भारतीय कंपनियां ऐसे पेशेवरों को नौकरी देने के लिए योजनाएं बना रही हैं।
- संस्कृति और पहचान का मुद्दा: भारतीय प्रवासी, भले ही अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर लें, अपनी संस्कृति और मूल पहचान से जुड़े रहते हैं। प्रवासी भारतीय दिवस और अन्य कार्यक्रम इसका प्रमाण हैं।
- टैक्स और निवेश: भारतीय-अमेरिकी समुदाय न केवल अमेरिका में, बल्कि भारत में भी बड़े पैमाने पर निवेश करता है। ट्रंप की नई नीति से यह निवेश प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
- विश्व राजनीति पर प्रभाव: अमेरिका की यह नीति वैश्विक प्रवासन नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है। यह अन्य देशों के लिए भी प्रवासन पर सख्त नियम लागू करने का उदाहरण बन सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बर्थराइट सिटिजनशिप में बदलाव का निर्णय ऐतिहासिक है, लेकिन इससे जुड़े विवाद भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। यह नीति अवैध प्रवासियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लाई गई थी, लेकिन इसके प्रभाव ने लाखों भारतीय-अमेरिकियों की योजनाओं को प्रभावित किया है।
भारत के नागरिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है, जब वे अमेरिका में बदलते माहौल को देखते हुए अपने भविष्य की योजनाओं पर पुनर्विचार कर सकते हैं। साथ ही, यह घटना भारत सरकार के लिए भी एक अवसर है कि वह अपने नागरिकों के लिए बेहतर अवसर और सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में कदम उठाए।