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Caste Census Debate Heats Up: कांग्रेस ने पोस्टर के जरिए ली केंद्र के फैसले की क्रेडिट, कहा ‘दुनिया झुकती है’

केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना की दिशा में उठाए गए कदम के बाद कांग्रेस ने एक विवादास्पद पोस्टर जारी किया जिसमें उसने इस फैसले का श्रेय खुद को दिया है। पोस्टर में ‘दुनिया झुकती है जब कांग्रेस झुकाती है’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर पार्टी ने अपनी भूमिका को सामने रखा। बीजेपी ने इसे भ्रम फैलाने वाला बताया जबकि विपक्षी दलों ने समर्थन जताया।

By bishanpreet345@gmail.com 

Updated Date

कांग्रेस का दावा: जातिगत जनगणना पर हमारी ही सोच का असर

जातिगत जनगणना को लेकर देश की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कदम के बाद कांग्रेस ने एक पोस्टर जारी कर कास्ट सेंसस के फैसले का श्रेय अपने नेतृत्व को दिया है। पोस्टर में लिखा गया है, “दुनिया झुकती है जब कांग्रेस झुकाती है“, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि पार्टी इस फैसले को अपनी ऐतिहासिक नीतियों और विचारधारा की जीत मान रही है।

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इस पोस्टर के जरिए कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर दबाव डालने की रणनीति अपनाई है, ताकि वह जातिगत आंकड़ों को सार्वजनिक करने की दिशा में और तेजी से आगे बढ़े। कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में होती तो यह कदम बहुत पहले उठाया जा चुका होता। उन्होंने यह भी दावा किया कि कांग्रेस ने ही सबसे पहले सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व के मुद्दे को चुनावी विमर्श में लाया था।

बीजेपी की प्रतिक्रिया: ‘राजनीतिक स्टंट’

इस पोस्टर पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ताओं ने इसे ‘राजनीतिक स्टंट’ करार देते हुए कहा कि कांग्रेस अब पुराने फैसलों पर भी क्रेडिट लेने की कोशिश कर रही है। बीजेपी ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना एक संवेदनशील मुद्दा है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए, न कि प्रोपेगेंडा टूल के रूप में इस्तेमाल किया जाए।

बीजेपी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस अबतक इस मुद्दे पर केवल भाषण और घोषणाओं तक सीमित रही है, जबकि वर्तमान सरकार ने नीतिगत निर्णय लेकर इसे अमल में लाने का रास्ता साफ किया है।

क्षेत्रीय दलों का समर्थन

इस बीच, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, जेडीयू जैसे दलों ने कांग्रेस के इस स्टैंड का समर्थन किया है और कहा कि जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। इन दलों ने भी लंबे समय से इस मुद्दे को उठाया है और अब उन्हें लगता है कि देश में सामाजिक समावेशिता की दिशा में एक बड़ा बदलाव आने वाला है।

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कई विशेषज्ञों का मानना है कि जातिगत जनगणना से नीति निर्माण में मदद मिलेगी और आरक्षण व्यवस्था को और अधिक प्रभावी रूप से लागू किया जा सकेगा।

जातिगत आंकड़ों पर राजनीतिक खिंचतान

जातिगत जनगणना पर देश की राजनीति हमेशा से दो ध्रुवों में बंटी रही है। एक तरफ जहां इसे समावेशी विकास का आधार माना जाता है, वहीं दूसरी ओर कुछ दल इसे विभाजनकारी राजनीति का हथियार बताते हैं। कांग्रेस के इस पोस्टर ने इस बहस को फिर से हवा दे दी है और आने वाले चुनावों में यह मुद्दा निश्चित रूप से अहम भूमिका निभाएगा।

सवाल यह भी है कि क्या केंद्र सरकार अब इस दबाव में आकर जल्द ही जनगणना रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी? और अगर करती है तो उसका राजनीतिक और सामाजिक असर क्या होगा?

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