नए बजट में सेक्शन 285B लागू किया गया है, पर्सन-टू-पर्सन (P2P) ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना
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Taxation and new rules on Cryptocurrencies: सरकार ने पिछले बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर 30% फ्लैट टैक्स और 1% टीडीएस लागू किया था। इसके बावजूद, सरकार अभी तक इसे पूरी तरह ट्रेस करने में सक्षम नहीं हो पाई है। क्रिप्टो की अनियमितता सरकार के लिए गले की हड्डी बनी हुई है।
सरकार का मानना है कि भारत का बहुत सारा पैसा अन्य देशों में जा रहा है, जिससे देश को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसी को रोकने के लिए सरकार ने इस बार फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) और पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत क्रिप्टो एक्सचेंज को रेगुलेट करने का फैसला किया है।
285B सेक्शन और रिपोर्टिंग एंटिटी
नए बजट में सेक्शन 285B लागू किया गया है, जिसके तहत सभी क्रिप्टो एक्सचेंजों को रिपोर्टिंग एंटिटी माना जाएगा। पहले भी 1% टीडीएस के जरिए कुछ ट्रैकिंग की जा रही थी, लेकिन अब सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाया है।
रिपोर्टिंग एंटिटी कौन होगी?
इनके माध्यम से सरकार सभी लेनदेन पर नजर रख सकेगी। खासकर, पर्सन-टू-पर्सन (P2P) ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना सरकार के लिए चुनौती बना हुआ था। नए नियमों के तहत, अब एक्सचेंज को हर लेनदेन का डेटा सरकार को देना होगा।
पैन कार्ड अनिवार्यता और ट्रांजैक्शन ट्रैकिंग
अब हर क्रिप्टो निवेशक को अपना पैन कार्ड अनिवार्य रूप से सबमिट करना होगा। यदि किसी के पास पैन कार्ड नहीं होगा, तो उसे अपनी होल्डिंग को बेचने या ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे सरकार उन लोगों को ट्रैक कर सकेगी, जिन्होंने अब तक अपनी क्रिप्टो संपत्ति को छिपाकर रखा था।
पिछले सालों का डेटा भी ट्रैक होगा?
एक बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार पिछले सालों के क्रिप्टो ट्रांजैक्शन का डेटा भी एक्सचेंज से मांगेगी? यदि ऐसा हुआ, तो जिन निवेशकों ने अपनी क्रिप्टोकरेंसी को अब तक छिपा रखा था, वे सरकार की नजर में आ सकते हैं और उन पर भारी टैक्स लगाया जा सकता है।
क्या बढ़ सकता है टैक्स?
अभी तक क्रिप्टो पर 30% टैक्स लागू था, लेकिन भविष्य में यह बढ़कर 75% तक हो सकता है। यह उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका होगा, जिन्होंने अपनी क्रिप्टो होल्डिंग्स को टैक्स से बचाने की कोशिश की थी।
सरकार की मंशा और आगे की राह
सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर नियंत्रण लाने और टैक्स चोरी को रोकने के लिए लगातार नए कदम उठा रही है। हालांकि, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और P2P ट्रांजैक्शन की प्रकृति को देखते हुए सरकार के लिए इसे 100% रेगुलेट करना अब भी एक चुनौती बना हुआ है।
इस बजट में उठाए गए कदमों से यह साफ हो गया है कि सरकार अब क्रिप्टोकरेंसी को हल्के में नहीं ले रही है। आने वाले महीनों में सरकार क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े और नए नियम लागू कर सकती है।
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार की यह नीति क्रिप्टो निवेशकों और एक्सचेंजों को किस हद तक प्रभावित करती है।
आप इस नए बजट और क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार की नीतियों के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में बताएं।