पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने एक अहम बयान में स्वीकार किया है कि पाकिस्तान का अतीत कुछ आतंकी संगठनों से जुड़ा रहा है। यह स्वीकारोक्ति वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की छवि और आतंकवाद के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता को लेकर नए सिरे से बहस छेड़ सकती है। भुट्टो ने पाकिस्तान के ‘भविष्य की दिशा’ को बदलने की भी बात कही है।
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पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसा बयान दिया है, जो न सिर्फ पाकिस्तान की वैश्विक साख पर सवाल खड़े करता है, बल्कि भारत समेत कई देशों को लंबे समय से जो चिंताएं थीं, उन पर मुहर भी लगाता है। भुट्टो ने यह स्वीकार किया कि पाकिस्तान का अतीत कुछ आतंकी संगठनों के साथ जुड़ा रहा है, जो आज भी क्षेत्रीय अस्थिरता की वजह बने हुए हैं।
बिलावल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है और अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए उसे बार-बार आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की शर्तों से गुजरना पड़ रहा है। उनके बयान ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अब अपने बीते समय की गलतियों से सबक लेते हुए एक नया राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहता है।
भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है। मुंबई हमले से लेकर उरी और पुलवामा जैसे हमलों तक, भारत ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिश की है। ऐसे में बिलावल भुट्टो का यह बयान भारत की स्थिति को मजबूत करता है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की नीतियों को लेकर फिर से बहस शुरू कर सकता है।
हालांकि भुट्टो ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अब “रिफॉर्म और शांति” की राह पर आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पाकिस्तान की सेना और ISI जैसे संगठन आतंकी संगठनों के साथ कथित रूप से जुड़े रहेंगे, तब तक ऐसी बातें केवल राजनीतिक बयानबाजी ही लगेंगी।
कई जानकारों का मानना है कि यह बयान FATF (Financial Action Task Force) की सख्ती और अमेरिका जैसे देशों के दबाव में आया है। इससे यह संकेत भी मिलता है कि पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते आतंकी ढांचे को सीमित करने पर विचार कर रहा है।
भारतीय कूटनीतिक हलकों ने भुट्टो के बयान को “स्वागत योग्य पर अधूरा” बताया है। भारत ने बार-बार आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग की है और उम्मीद जताई है कि यह स्वीकारोक्ति अब व्यावहारिक कार्रवाई में तब्दील होगी। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने आतंकवादी ढांचे को खत्म करना चाहिए, ना कि सिर्फ बयानबाज़ी करनी चाहिए।
भविष्य में अगर पाकिस्तान अपने आतंकी नेटवर्क को बंद करने और चरमपंथी विचारधारा को खत्म करने की ठोस पहल करता है, तो यह न सिर्फ भारत-पाक रिश्तों में सुधार ला सकता है, बल्कि पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को भी मजबूत बना सकता है। बिलावल भुट्टो का बयान इस दिशा में पहला कदम हो सकता है, लेकिन असली परीक्षा तब होगी जब पाकिस्तान अपने कथनों को कार्रवाई में बदलेगा।