बनारसी ठंडाई को जल्द ही जीआई टैग मिल जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहल कर दी है। सीएम योगी द्वारा वाराणसी को विश्व पटल पर ले जाने के लिए काशी की प्रसिद्ध चीजों को जीआई टैग दिलाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
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वाराणसी (यूपी) । बनारसी ठंडाई को जल्द ही जीआई टैग मिल जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहल कर दी है। सीएम योगी द्वारा वाराणसी को विश्व पटल पर ले जाने के लिए काशी की प्रसिद्ध चीजों को जीआई टैग दिलाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इसमें यहां की मशहूर ठंडाई को भी शामिल किया गया है। भगवान शिव की नगरी काशी कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है। बनारसी पान, बनारसी साड़ी और ठंडाई के अलावा और भी कई चीजें मशहूर हैं। ठंडाई की विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान है। काशी आने वाले लोग यहां की ठंडाई का स्वाद लेना नहीं भूलते।
भगवान शिव को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया जाता है भांग और ठंडाई
आपको बता दें कि भगवान शिव को भांग और ठंडाई प्रसाद स्वरूप में चढ़ाया जाता है। भागवान शिव को भोग लगाया जाता है। भोलेनाथ को भांग और ठंडाई प्रिय है। बाबा विश्वनाथ समेत अन्य शिवालयों में इसका भोग लगाया जाता है। काशी में तो होली के समय ठंडाई पीने की परंपरा सदियों पुरानी है। पहले इस ठंडाई को बनारसी खुद सील-बट्टा पर पीसकर, दूध, मलाई, पिस्ता, बदाम और केसर का तड़का लगाकर पीते और पिलाते थे। अब भी कई परिवारों में खुद की पीसी हुई भांग और ठंडाई का सेवन किया जाता है। लेकिन वक्त के साथ धीरे-धीरे ठंडाई दुकानों पर बिकने लगी और अब इसका विस्तार बाजारों में हो चुका है। बनारस में दुनियाभर के लोग आते हैं और बनारसी ठंडाई के स्वाद का लुत्फ उठाते हैं।
शहर की कुछ दुकानें बनारसी ठंडाई के लिए बहुत फेमस हैं। गोदौलिया चौराहा, गिरजाघर, बांसफाटक, मैदागिन, सोनारपुरा, लंका, भोजूवीर, महमूरगंज, प्रहलाद घाट आदि बाजारों में ठंडाई की दुकानें मिल जाएंगी। गोदौलिया क्षेत्र की कुछ खास दुकानें प्रसिद्ध हैं। यहां दूध की सामान्य ठंडाई के अलावा मलाई, पिस्ता और बादाम वाली ठंडाई भी मिलेगी। इसके अलावा अनार, अमरूद से लगायत अन्य फ्लैवरों की भी ठंडाई मिल जाएगी।