AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने Waqf Act को लेकर तीखा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने इसे 'काला कानून' बताया और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों के अस्तित्व को खतरे में डालने वाला कदम है। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच उनका यह बयान देशभर में बहस का विषय बन गया है।
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Asaduddin Owaisi का विवादित बयान: ‘Waqf Act मुसलमानों की संपत्ति खत्म करने की साजिश’
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर Waqf Act को लेकर बड़ा बयान देकर राजनीति को गरमा दिया है। ओवैसी ने इस एक्ट को ‘काला कानून’ करार देते हुए कहा कि सरकार इस कानून के माध्यम से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्ति, मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों को खत्म करने की योजना पर काम कर रही है।
क्या है Waqf Act और क्यों है विवाद में?
Waqf Act वह कानून है जिसके अंतर्गत मुस्लिम समुदाय द्वारा धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्य के लिए दी गई संपत्तियों का प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। इस कानून के अंतर्गत देशभर में लाखों एकड़ वक्फ संपत्ति आती है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम को संवैधानिक चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह केवल एक खास समुदाय के लिए विशेष व्यवस्था करता है।
असदुद्दीन ओवैसी का बयान
ओवैसी ने कहा, “यह कानून मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक पहचान और इतिहास पर हमला है। यह सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि एक साजिश है वक्फ संपत्तियों को खत्म करने की। सरकार इस कानून को कमजोर कर मुसलमानों के हक को छीनना चाहती है।”
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस कानून को बरकरार रखने की मांग की और कहा कि यह संविधान की मूल भावना के अनुरूप है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और बहस
ओवैसी के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। भाजपा नेताओं ने इसे ध्रुवीकरण की राजनीति करार दिया है, वहीं कई मुस्लिम संगठनों ने ओवैसी की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि Waqf Board की संपत्तियों की सुरक्षा बेहद जरूरी है।
कांग्रेस और सपा जैसे दलों ने इस पर संयमित प्रतिक्रिया दी, लेकिन मुस्लिम बहुल इलाकों में इस मुद्दे पर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हो रहा है?
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम को लेकर सुनवाई जारी है। याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि इस अधिनियम को असंवैधानिक घोषित किया जाए क्योंकि यह अन्य धर्मों के लोगों को समान अधिकार से वंचित करता है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए लाया गया है।
मुस्लिम समुदाय की चिंताएं
असदुद्दीन ओवैसी और अन्य मुस्लिम नेता मानते हैं कि अगर यह कानून कमजोर हुआ तो इसका सीधा असर मस्जिदों, मदरसों और सामाजिक संस्थानों पर पड़ेगा। वक्फ संपत्तियों से ही इन संस्थाओं का संचालन होता है।
वे यह भी कहते हैं कि अगर वक्फ की संपत्तियां सरकार के अधीन आ गईं, तो यह धार्मिक हस्तक्षेप का मामला होगा, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
ओवैसी का कानूनी और राजनीतिक एजेंडा
ओवैसी अपने भाषणों और बयानों से अक्सर मुस्लिम मुद्दों को प्रमुखता देते हैं, और Waqf Act पर उनका यह स्टैंड भी उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। वे इसे एक संवैधानिक अधिकार की लड़ाई बताते हैं, जो धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति अधिकार से जुड़ी है।
निष्कर्ष
Waqf Act पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और ओवैसी के बयानों से यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा केवल कानूनी नहीं बल्कि गहरा सामाजिक और राजनीतिक पहलू भी रखता है। आने वाले दिनों में यह विवाद और भी तेज़ हो सकता है, और इसकी परिणति भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे की दिशा को भी प्रभावित कर सकती है।