ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध करते हुए संसद में प्रदर्शन किया। ओवैसी ने लाइट बंद कर इस विरोध को किया, उनका कहना था कि इस कानून से मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों को खतरा है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह कानून मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
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असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2019 पर विरोध व्यक्त करने के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया। संसद में उन्होंने वक्फ अधिनियम के प्रावधानों को लेकर विरोध करते हुए लाइट बंद करने का प्रदर्शन किया। ओवैसी का मानना था कि इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों का नियंत्रण सरकार के हाथों में चला जाएगा, जिससे मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। ओवैसी ने कहा, “यह कानून मुसलमानों के हक़ को छीनने और धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास है।”
ओवैसी का कहना है कि वक्फ संपत्तियां धार्मिक उद्देश्यों के लिए होती हैं और इन्हें सरकार द्वारा नियंत्रित करना मुसलमानों की आस्था पर हमला है। उनका मानना था कि इस तरह के कानून से वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है। ओवैसी ने संसद में यह भी कहा कि मुसलमानों के धार्मिक मामलों में सरकार को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, और यह संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ है।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2019, जिसे भारतीय संसद ने पारित किया, के अनुसार, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण में कुछ बदलाव किए गए हैं। इस कानून के तहत, वक्फ संपत्तियों का प्रशासन सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी करेंगे, जो वक्फ बोर्ड के कार्यों का संचालन करेंगे। इस विधेयक को सरकार ने वक्फ संपत्तियों की अधिकतम उपयोगिता के लिए लाया था, ताकि इन्हें बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सके और उनके दान का सही उपयोग हो सके।
हालांकि, इस कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय में घबराहट बनी हुई है। असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता इसे मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान के खिलाफ मानते हैं। उनका कहना है कि यह कानून मुसलमानों के स्वायत्त अधिकार को कमजोर करेगा और धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ाएगा।
असदुद्दीन ओवैसी हमेशा अपने विचारों को सार्वजनिक रूप से प्रकट करने में संकोच नहीं करते हैं। वे धार्मिक स्वतंत्रता और मुसलमानों के अधिकारों के लिए हमेशा खड़े रहते हैं। वक्फ संशोधन अधिनियम 2019 का विरोध करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ भी है। उनका कहना था कि इस प्रकार के कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करते हैं, जो देश में धर्म और आस्था की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
ओवैसी का यह विरोध एक व्यापक आंदोलन का हिस्सा बन सकता है, क्योंकि उन्होंने मुसलमानों को एकजुट होने और इस कानून के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है। उनका मानना है कि यदि इस कानून को लागू किया गया तो इसके दीर्घकालिक प्रभाव मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी और संप्रदायिक ताना-बाना पर प्रतिकूल हो सकते हैं।
वक्फ संपत्तियां मुख्य रूप से मुसलमानों के धार्मिक उद्देश्यों के लिए होती हैं, जैसे मस्जिदों, मदरसों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य धार्मिक संस्थाओं के निर्माण और संचालन के लिए। भारत में वक्फ संपत्तियों का बड़ा नेटवर्क है, और इन संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है। हालांकि, वक्फ बोर्ड की प्रभावशीलता और संगठनों की पारदर्शिता में कमी को लेकर कई बार आलोचनाएं उठ चुकी हैं, जिसके चलते सरकार ने इसे सुधारने के लिए यह नया कानून लाया।