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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चीन की डीपसिंक क्रांति: एक वैश्विक धक्का

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में हर दिन नई क्रांति

By HO BUREAU 

Updated Date

Artificial Intelligence (AI): आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में हर दिन नई क्रांतियाँ हो रही हैं, लेकिन हाल ही में चीन द्वारा विकसित एक एप्लिकेशन ने वैश्विक बाजार में ऐसा भूकंप ला दिया कि अमेरिका समेत पूरे तकनीकी जगत में हलचल मच गई।

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चीन की डीपसिंक AI नामक इस एप्लिकेशन ने लॉन्च होते ही वो कर दिखाया, जो OpenAI और ChatGPT जैसे नामचीन मॉडल्स वर्षों की मेहनत और अरबों डॉलर खर्च करके भी हासिल नहीं कर सके। ये एप्लिकेशन Apple के ऐप स्टोर पर महज चार दिनों में शीर्ष स्थान पर पहुँच गया, जिससे अमेरिकी कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।

 

चीन की चालाक रणनीति और अमेरिका पर प्रभाव

अमेरिका ने कुछ साल पहले चीन को चिप और AI तकनीक के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, यह सोचकर कि चीन अपनी तकनीकी क्षमताओं में पिछड़ जाएगा। लेकिन चीन ने अपनी “रिवर्स इंजीनियरिंग” तकनीक का इस्तेमाल कर न केवल प्रतिबंधों को निष्प्रभावी कर दिया, बल्कि एक ऐसा AI मॉडल तैयार किया जिसने अमेरिकी बाजार की नींव हिला दी।

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एनवीडिया, जो चिप निर्माण में अग्रणी है और जिसका बाजार पूंजीकरण भारत की जीडीपी के बराबर है, उसके स्टॉक्स में 14% की गिरावट दर्ज की गई। इसका मुख्य कारण डीपसिंक AI के लॉन्च के बाद बाजार में आई अराजकता है।

 

डीपसिंक: कैसे बदला AI का खेल?

  • तेजी से विकास:
    डीपसिंक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे विकसित करने में केवल दो महीने और $60 मिलियन का निवेश लगा। इसकी तुलना में OpenAI और Microsoft ने अपने AI मॉडलों पर अरबों डॉलर और कई साल खर्च किए हैं।
  • फ्री मॉडल का जादू:
    OpenAI जहां अपनी सेवाओं के लिए शुल्क लेता है, वहीं डीपसिंक ने अपने सभी फीचर्स को फ्री कर दिया। इसने आम उपभोक्ता से लेकर व्यवसायों तक सभी को आकर्षित किया।
  • उन्नत तकनीक:
    डीपसिंक AI में तीसरी पीढ़ी की डीप लर्निंग तकनीक का उपयोग किया गया है, जो हाइपोथेटिकल सिचुएशंस, ह्यूमन-लाइक इंटेलिजेंस और क्रिएटिव प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसे कार्यों में सक्षम है।

 

अमेरिकी AI मॉडल्स को चुनौती

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चीन का यह AI मॉडल न केवल तकनीकी रूप से बेहतर है, बल्कि इसकी पहुँच भी व्यापक है।

  • Apple के ऐप स्टोर पर इसने OpenAI को पीछे छोड़ दिया।
  • इसके एक मिलियन से अधिक डाउनलोड केवल कुछ दिनों में हो चुके हैं।
  • यह न केवल उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान कर रहा है, बल्कि उनकी उम्मीदों से भी आगे निकल रहा है।

 

चीन की सफलता का रहस्य

  • स्थानीय टैलेंट का उपयोग:
    डीपसिंक AI को चीन की प्रतिष्ठित सिंगुआ और पेकिंग यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विकसित किया।
  • सामरिक नेतृत्व:
    इस परियोजना का नेतृत्व लियांग रैंक फोन ने किया, जो पहले वेंचर कैपिटल में निवेश करते थे। उन्होंने AI क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता को एक क्रांतिकारी उत्पाद में बदला।
  • सरकार का समर्थन:
    चीन की सरकार ने इस परियोजना को अपने प्रीमियर के स्तर पर समर्थन दिया, जिससे यह एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गई।

 

आगे का रास्ता

डीपसिंक की सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि AI की दौड़ में अब केवल तकनीकी श्रेष्ठता ही नहीं, बल्कि बाजार तक तेजी से पहुँच और उपयोगकर्ता-केंद्रित दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की इस प्रतिस्पर्धा में आगे कौन जीतेगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि डीपसिंक ने दुनिया को दिखा दिया है कि जब बात तकनीकी क्रांति की हो, तो चीन किसी से पीछे नहीं।

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अमेरिकी कंपनियों के लिए यह एक चेतावनी है कि वे अपनी तकनीकी और बाजार रणनीतियों पर पुनर्विचार करें। वहीं, भारत जैसे देशों के लिए यह सीखने का अवसर है कि कैसे नवाचार और तेज़ी से निर्णय लेने से वैश्विक प्रभाव डाला जा सकता है।

 

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