एक बार फिर एयर इंडिया की लापरवाही सामने आई है जब लंबी फ्लाइट देरी से यात्रियों को घंटों एयरपोर्ट पर इंतज़ार करना पड़ा। इस पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और एयरलाइन की संचालन प्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यात्रियों को मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करना निंदनीय है।
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देश की प्रमुख विमानन सेवा एयर इंडिया एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट में घंटों की देरी के कारण सैकड़ों यात्री एयरपोर्ट पर फंसे रहे, जिनमें बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। इस घटना को लेकर सांसद सुप्रिया सुले ने एयर इंडिया की कार्यशैली पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया और संसद दोनों में इस मुद्दे को उठाया और कहा कि “फ्लाइट्स के लगातार विलंब और यात्रियों की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि यात्रियों को ना तो सही जानकारी दी गई और ना ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई। इस स्थिति में एयर इंडिया का गैर-जिम्मेदाराना रवैया साफ झलकता है। “यह केवल उड़ान की देरी नहीं, बल्कि यात्रियों के अधिकारों का हनन है,” सुप्रिया सुले ने कहा।
फ्लाइट कैंसलेशन और लंबे विलंब के दौरान एयरपोर्ट पर यात्री भोजन, पानी और बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करते नजर आए। कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर बताया कि उन्हें न तो कोई स्पष्ट जानकारी मिली और न ही सही सहायता। कुछ बुजुर्ग यात्रियों की तबीयत भी बिगड़ गई, लेकिन एयरलाइन की ओर से कोई तत्काल मेडिकल सहायता नहीं उपलब्ध कराई गई।
सुप्रिया सुले ने इन सभी पहलुओं की आलोचना करते हुए कहा कि “यह केवल एक विमानन समस्या नहीं, बल्कि एक मानवाधिकार का उल्लंघन है। एयर इंडिया को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और यात्रियों को उचित मुआवज़ा देना चाहिए।”
एनसीपी सांसद ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे को संसद में उठाएंगी और केंद्र सरकार से पूछेंगी कि एयर इंडिया की सेवाओं में सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जब एयर इंडिया को निजी हाथों में सौंपा गया था, तब बेहतर सेवाओं का वादा किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।
उन्होंने DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) और विमानन मंत्रालय से तत्काल कार्रवाई की मांग की और कहा कि इस तरह की घटनाएं भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल कर रही हैं।
कई यात्रियों और उपभोक्ता अधिकार समूहों ने इस मामले पर कानूनी कार्रवाई और उपभोक्ता अदालत में याचिका दायर करने की बात कही है। उनका कहना है कि एयर इंडिया जैसी प्रतिष्ठित एयरलाइन से यह उम्मीद नहीं थी और सरकार को इस पर तत्काल कठोर कदम उठाने चाहिए।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के विमानन क्षेत्र में अभी भी कई प्रणालीगत खामियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। यात्री सेवा, समयबद्धता और सूचना संचार जैसे बुनियादी क्षेत्रों में सुधार की सख्त जरूरत है।