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झारखंड में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बीजेपी नेता प्रतिपक्ष के नाम पर लगी सबकी निगाहें

झारखंड विधानसभा का चुनाव भी हो गया। सरकार भी बन गई। हेमंत सोरेन राज्य की सत्ता पर विराजमान भी हो गए। और तो और सरकार बुलेट ट्रेन की रफ्तार से चलने भी लगी। लेकिन चुनाव में करारी शिकस्त मिलने वाली विपक्षी दल बीजेपी ने अभी तक नेता प्रतिपक्ष कौन होगा, उसका नाम अभी तक ते नहीं कर पाई।

By HO BUREAU 

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रांची। झारखंड विधानसभा का चुनाव भी हो गया। सरकार भी बन गई। हेमंत सोरेन राज्य की सत्ता पर विराजमान भी हो गए। और तो और सरकार बुलेट ट्रेन की रफ्तार से चलने भी लगी। लेकिन चुनाव में करारी शिकस्त मिलने वाली विपक्षी दल बीजेपी ने अभी तक नेता प्रतिपक्ष कौन होगा, उसका नाम अभी तक ते नहीं कर पाई।

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लेकिन अब इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड में नेता प्रतिपक्ष के लिए हस्तक्षेप किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में झारखंड में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों पर नियुक्ति से संबंधित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि झारखंड विधानसभा की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी अपने किसी निर्वाचित सदस्य को इस कमेटी के लिए विपक्ष के नेता के तौर पर नामित करे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सूचना आयोग में नियुक्ति पर निर्णय लेने वाली चयन कमेटी के लिए विपक्ष के नेता को नामित करने की प्रक्रिया दो सप्ताह में पूरी की जाए। चयन कमेटी इसके तुरंत बाद मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह में नियुक्ति का आदेश दिया है।

राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार ने दलील रखते हुए कहा कि राज्य में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने की वजह से सूचना आयोग में नियुक्ति पर निर्णय लेने वाली चयन कमेटी की बैठक नहीं हो पाई है। नेता प्रतिपक्ष इस कमेटी के सदस्य कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को सरकार की ओर से कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र में बताया गया है कि सूचना आयोग में नियुक्तियों के लिए जून 2024 को एक विज्ञापन दिया गया था, लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष की घोषणा नहीं की जा सकी है।

इस वजह से मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं हो सकी है।याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि झारखंड में वर्ष 2020 से राज्य सूचना आयोग निष्क्रिय है। मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त सहित कई पद रिक्त हैं। इस वजह से सूचना के अधिकार से संबंधित हजारों केस लंबित है।

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तो ऐसे में बड़ा सवाल ये है की देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के पास झारखंड में नेता प्रतिपक्ष कोई क्यों नहीं है। और अगर है तो नेता विपक्ष का नाम देने में बीजेपी को इतना समय क्यों लगा। अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप करने के बाद बीजेपी नेता प्रतिपक्ष का नाम देगी तो वो कौन होगा, देखना दिलचस्प होगा।

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