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“हम परमाणु नहीं, व्यापार करें”: ट्रंप का भारत-पाक को शांति का संदेश फिर चर्चा में

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक पुराना बयान फिर से चर्चा में है, जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान से कहा था, "परमाणु हथियारों का व्यापार मत करो, व्यापार करो।" उनका यह बयान फिर वायरल हो रहा है, खासकर मौजूदा तनाव के माहौल में। ट्रंप का यह कूटनीतिक संदेश क्षेत्र में शांति की संभावनाओं को लेकर नई बहस छेड़ रहा है।

By bishanpreet345@gmail.com 

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भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के संदर्भ में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक पुराना बयान एक बार फिर सुर्खियों में है। उन्होंने कहा था, “Let’s not trade nukes, let’s trade goods”, यानी “आइए परमाणु हथियारों का नहीं, व्यापार का आदान-प्रदान करें।” ट्रंप का यह बयान तब आया था जब वे राष्ट्रपति पद पर थे और उन्होंने दक्षिण एशिया की दो परमाणु शक्तियों — भारत और पाकिस्तान — के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी।

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इस बयान का वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर फिर से वायरल हो रहा है, विशेषकर तब जब भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर फिर से हलचल देखी जा रही है। ट्रंप का यह रुख दोनों देशों को एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश थी, जिसमें उन्होंने जोर दिया कि युद्ध और परमाणु धमकियों की बजाय आर्थिक सहयोग और शांति का रास्ता अपनाना चाहिए।

 

डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर कहा था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच एक “शानदार समझौता” करवा सकते हैं। उनके अनुसार, दोनों देशों के पास अपार क्षमता है लेकिन उसे हथियारों की दौड़ में बर्बाद करने की बजाय व्यापार, तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करना चाहिए। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से व्यक्तिगत तौर पर बातचीत की थी।

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इस बयान का उद्देश्य था कि दक्षिण एशिया में स्थायित्व आए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका को एक शांति-स्थापक शक्ति के रूप में देखा जाए। भारत ने ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश को औपचारिक रूप से खारिज कर दिया था, लेकिन पाकिस्तान ने इसे सकारात्मक रूप से लिया था।

 

आज जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक बार फिर तनावपूर्ण हालात हैं, ट्रंप का यह बयान एक बार फिर प्रासंगिक बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापार और कूटनीतिक संवाद ही वह रास्ता है जिससे दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध स्थापित किए जा सकते हैं।

 

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ट्रंप ने अपने भाषणों में बार-बार यह स्पष्ट किया कि दक्षिण एशिया की स्थिरता न केवल क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा था, “अगर भारत और पाकिस्तान साथ काम करें तो वे दोनों एक आर्थिक महाशक्ति बन सकते हैं।”

 

हालांकि ट्रंप का कार्यकाल अब खत्म हो चुका है, लेकिन उनके द्वारा उठाए गए शांति प्रयासों की चर्चा अब भी होती है। यह बयान उस समय की याद दिलाता है जब दुनिया युद्ध की ओर नहीं, बल्कि शांति की ओर देखना चाहती थी।

 

सोशल मीडिया पर भी यह क्लिप काफी तेजी से शेयर की जा रही है, और लोग ट्रंप के इस बयान को “साधारण लेकिन असरदार” कह रहे हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा, “काश हमारे नेता भी ऐसा सोचते।”

 

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ट्रंप का यह कथन न केवल कूटनीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आम नागरिकों की भावना को भी दर्शाता है। भारत और पाकिस्तान के लोग आज भी शांति और समृद्धि की आशा रखते हैं, और इस प्रकार के बयान उस दिशा में सकारात्मक संकेत देते हैं।

 

भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार एक समय पर ज़ोरों पर था, लेकिन हाल के वर्षों में यह लगभग समाप्त हो गया है। ट्रंप का यह बयान एक बार फिर उस पुराने दौर की याद दिलाता है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों की संभावनाएं थीं।

 

इस लेख के माध्यम से यही संदेश जाता है कि दुनिया को अब युद्ध नहीं, वार्तालाप और विकास की जरूरत है। ट्रंप के शब्द भले ही पुरानी बात हों, लेकिन उनका संदेश आज भी उतना ही मौजूं है।

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