सेना प्रमुख ने सभी फील्ड कमांडरों को आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए "पूर्ण अधिकार" प्रदान कर दिए हैं। यह निर्णय हालिया हमलों के बाद लिया गया है, जिससे सुरक्षाबलों को अब बिना किसी देरी के तुरंत प्रतिक्रिया देने की शक्ति मिल गई है। घाटी में बढ़ते आतंक के बीच यह कदम एक सशक्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
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जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रहे आतंकी हमलों के मद्देनजर भारतीय सेना प्रमुख ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए सभी क्षेत्रीय कमांडरों को आतंकवाद के खिलाफ सख्त जवाबी कार्रवाई के लिए “पूर्ण अधिकार” प्रदान कर दिए हैं। सेना के इस कदम को सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और आतंकियों को त्वरित एवं निर्णायक जवाब देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
पिछले कुछ हफ्तों में विशेष रूप से पहलगाम और राजौरी जैसे क्षेत्रों में हुई आतंकी घटनाओं के बाद से सुरक्षा एजेंसियों पर दवाब लगातार बढ़ता जा रहा था। सेना प्रमुख द्वारा यह निर्देश ऐसे समय पर आया है जब पूरा देश आतंक के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई की मांग कर रहा है।
नई रणनीति के तहत अब फील्ड में तैनात कमांडरों को अनुमति दी गई है कि वे ज़मीनी परिस्थितियों के अनुसार आतंकियों के खिलाफ त्वरित निर्णय लें और तुरंत कार्रवाई करें। इससे पहले कई बार रणनीतिक मंजूरी और उच्च स्तर से निर्देशों के कारण जवाबी कार्रवाई में देरी हो जाती थी, जिससे आतंकियों को भागने का मौका मिल जाता था।
सेना प्रमुख के निर्देश के बाद घाटी में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिए गए हैं। कई इलाकों में संदिग्ध गतिविधियों के चलते कर्फ्यू लगाया गया है, और आधुनिक तकनीक की सहायता से आतंकियों की निगरानी की जा रही है। ड्रोन, थर्मल इमेजिंग कैमरा, और सैटेलाइट डाटा का प्रयोग अब हर ऑपरेशन का हिस्सा बनाया जा रहा है।
विशेष सूत्रों के अनुसार, सेना प्रमुख ने स्पष्ट कर दिया है कि “अब समय आ गया है कि हम न केवल रक्षात्मक रणनीति अपनाएं, बल्कि आक्रामक रुख के साथ आतंक के नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकें।” उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है और हर ऑपरेशन में मानवाधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
आम नागरिकों और स्थानीय प्रशासन ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है। कई लोगों का मानना है कि लंबे समय से घाटी के लोग आतंक के साये में जी रहे हैं और अब सेना को पूरी छूट मिलने से स्थिति में सुधार होगा। सोशल मीडिया पर भी लोग सेना के इस फैसले को “साहसिक” और “बहुप्रतीक्षित” कदम बता रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज़ रही है। केंद्र सरकार ने सेना के फैसले का समर्थन करते हुए कहा है कि “आतंक के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति में कोई बदलाव नहीं आएगा।” वहीं विपक्षी दलों ने भी इस निर्णय को आवश्यक और समयानुकूल बताया है।
आतंकी संगठनों के खिलाफ यह नया सैन्य दृष्टिकोण स्पष्ट संकेत देता है कि अब भारत आतंकी हमलों के जवाब में पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ और निर्णायक कार्रवाई करेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस निर्णय से आतंकियों की हिम्मत टूटेगी और सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर भी असर पड़ेगा।
यह भी उल्लेखनीय है कि सेना प्रमुख की यह रणनीति केवल जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि खुफिया जानकारी के आधार पर प्री-एम्पटिव स्ट्राइक भी अब की जा सकती है। यानी आतंकी हमले से पहले ही कार्रवाई कर उन्हें रोका जा सकेगा।
आने वाले दिनों में घाटी में सुरक्षा व्यवस्था और सख्त होने की संभावना है। सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। सेना के इस निर्णय से एक बात स्पष्ट हो गई है — अब आतंक के खिलाफ भारत और भी अधिक संगठित, आक्रामक और निर्णायक तरीके से आगे बढ़ेगा।