पश्चिम बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने एक जनसभा में कहा कि वे सनातन धर्म को जिंदा रखने और बचाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने राज्य सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया और कहा कि बंगाल की संस्कृति और परंपरा को मिटाने नहीं दिया जाएगा। अधिकारी ने हिंदुत्व की रक्षा को अपनी प्राथमिकता बताया।
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कोलकाता (पश्चिम बंगाल):
पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक मूल्यों की बहस तेज हो गई है। इस बार बहस के केंद्र में हैं नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी, जिन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वे सनातन धर्म की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और राज्य में हिंदू संस्कृति को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का डटकर विरोध करेंगे।
शुभेंदु अधिकारी ने अपने भाषण में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर आरोप लगाया कि वह अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है और यह राज्य की मूल सांस्कृतिक पहचान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मिट्टी, स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर और श्री रामकृष्ण परमहंस की विरासत है, जिसे मिटने नहीं दिया जाएगा।
अधिकारी ने कहा, “सनातन धर्म कोई संकीर्ण धारणा नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। यह समावेशिता, सहिष्णुता और आध्यात्मिकता की भावना को जन्म देता है। लेकिन कुछ राजनीतिक ताकतें इसे कमज़ोर करने में लगी हैं।” उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे भारतीय संस्कृति को अपनाएं और पश्चिमी प्रभाव से सावधान रहें।
विशेषज्ञों का मानना है कि शुभेंदु अधिकारी द्वारा बार-बार सनातन धर्म और हिंदुत्व पर जोर देना, आगामी चुनावों की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। भाजपा बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों को फिर से उभारने की कोशिश कर रही है।
TMC नेताओं ने शुभेंदु अधिकारी के बयान को “ध्रुवीकरण की कोशिश” बताया है। तृणमूल के वरिष्ठ नेता ने कहा, “शुभेंदु अधिकारी सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य सरकार सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखती है।” हालांकि भाजपा के समर्थक इस बयान को एक साहसिक कदम मानते हैं।
अधिकारी ने अपने भाषण में कहा कि आज के युवा को धर्म और संस्कृति की सही समझ दी जानी चाहिए। उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों में भारतीय परंपराओं से जुड़ी शिक्षा देने की बात कही। उन्होंने कहा, “आज सनातन धर्म को लेकर जो भ्रम फैलाए जा रहे हैं, उन्हें दूर करने की ज़रूरत है।”
शुभेंदु अधिकारी ने बताया कि भाजपा न केवल राजनीति कर रही है बल्कि एक संस्कृति-संरक्षक की भूमिका में भी है। “हम मंदिरों के जीर्णोद्धार, धार्मिक त्योहारों के आयोजन और हिंदू परंपराओं को बढ़ावा देने में जुटे हैं,” उन्होंने कहा।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में धार्मिक मुद्दे अब केंद्र में आ चुके हैं। शुभेंदु अधिकारी का यह बयान न सिर्फ भाजपा की रणनीति को दर्शाता है बल्कि यह संकेत भी देता है कि आगामी चुनावों में हिंदुत्व और संस्कृति एक बड़ा मुद्दा बनने वाले हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बंगाल की जनता इस अभियान को किस रूप में लेती है।