भाजपा सांसद बंसुरी स्वराज ने लोकसभा परिसर में ‘National Herald की लूट’ लिखे हैंडबैग के साथ प्रवेश कर सबका ध्यान खींचा। अपने इस प्रतीकात्मक विरोध के ज़रिये उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर नेशनल हेराल्ड मामले में “जनता की संपत्ति हड़पने” का आरोप दोहराया। घटना से संसद के भीतर सियासी तापमान बढ़ गया, जहाँ कांग्रेस ने इसे “लोकतांत्रिक मर्यादा के विपरीत स्टंट” बताया, जबकि भाजपा सांसद इसे “भ्रष्टाचार उजागर करने का रचनात्मक तरीका” कह रहे हैं।
Updated Date
संसद शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन, गेट‑4 से प्रवेश करती बंसुरी स्वराज के हाथ में सफ़ेद‑लाल रंग का टोट बैग था, जिस पर मोटे अक्षरों में लिखा था—“NATIONAL HERALD की लूट”। मीडिया कैमरों ने तुरंत फ़्रेम कैद किया; सोशल मीडिया पर फ़ोटो‑वीडियो पल‑भर में वायरल हो गए।
“यह बैग प्रतीक है उस 90 करोड़ की लूट का, जिसे गांधी परिवार से जुड़ी कंपनी ने ‘यंग इंडियन’ बनाकर अंजाम दिया। जनता को याद दिलाना होगा कि भ्रष्टाचार महज़ चार दीवारों के भीतर की कहानी नहीं, उनका हक़ छीने जाने की कहानी है।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पारिवारिक फंडिंग और ट्रस्ट संपत्तियों का उपयोग निजी स्वार्थ के लिए करती रही है—“इसे दिखाने के लिए किसी बड़ी रैली की नहीं, एक शांत मगर असरदार संदेश की ज़रूरत थी।”
कांग्रेस चीफ़ व्हिप ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर दावा किया कि “प्रदर्शनकारी बैग” आचरण संहिता का उल्लंघन है।
शिवसेना (UBT) व DMK सांसदों ने कहा कि बैनर‑पोस्टर पर प्रतिबंध के बावजूद भाजपा सांसद “प्रोपगैंडा‑आइटम” लेकर आए।
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेेश ने ट्वीट किया—“भ्रष्टाचार के आरोपी खुद दूसरों पर उंगली उठा रहे—irony died a thousand deaths!”
भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने पलटवार किया—“उँगलियों से इशारा हो या बैग पर लिखी इबारत, दोनों अभिव्यक्ति हैं; कांग्रेस को दिक्कत सच से है।” संसद नियम पुस्तिका में “व्यक्तिगत पहनावे/सामान” पर सीधा प्रतिबंध नहीं, बैनर‑पोस्टर पर है—इस तकनीकी तर्क से भाजपा ने कार्रवाई की मांग को हल्का बताने की कोशिश की।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जुलाई‑2024 में चार्जशीट फ़ाइल कर ‘यंग इंडियन’, सोनिया‑राहुल गांधी व अन्य पर मनी‑लॉन्ड्रिंग का आरोप दोहराया।
मामला पटियाला हाउस कोर्ट में प्रारंभिक दलील चरण में है; अगली सुनवाई जनवरी‑2025।
कांग्रेस “राजनीतिक प्रतिशोध” का तर्क दोहरा रही, जबकि ED “धर्मार्थ ट्रस्ट संपत्ति के निजी कब्ज़े” का दावा कर रही।
संसद विशेषज्ञों की राय—
व्यक्तिगत आइटम पर स्लोगन ग्रे एरिया है; पूर्व में ‘आंदोलन‑चिन्ह’ ले आने पर चेयर ने नसीहत दी, पर निलंबन दुर्लभ।
यदि कल से हर सदस्य प्रतीकात्मक वस्तुएँ लाने लगा तो “सदन की गंभीरता” पर असर पड़ सकता है; स्पष्ट गाइडलाइन ज़रूरी।
#NationalHeraldKiLoot, #BansuriSwaraj ट्रेंडिंग; समर्थक इसे creative dissent, विरोधी gimmick politics बता रहे।
कुछ यूज़र्स ने याद दिलाया कि सुषमा स्वराज भी विपक्ष में रहते “प्रतीकात्मक विरोध” की मास्टर थीं; बंसुरी ने वही शैली अपनाई।
लोकसभा सचिवालय अगर वस्तु‑आधारित प्रदर्शन को नियम‑विपरीत माने तो बंसुरी स्वराज पर चेतावनी या बैग जब्ती संभव; अन्यथा विपक्ष स्वतः ‘सूचित ध्यानाकर्षण’ नोटिस ला सकता है।
निष्कर्ष
‘National Herald की लूट’ लिखे बैग से खड़े हुए दृश्य ने एक बार फिर साबित किया कि संसद सिर्फ कानून‑निर्माण का मंच नहीं, राजनीतिक प्रतीकों की रंगशाला भी है। चाहे इसे शोमैनशिप कहें या शॉक‑टैक्टिक्स, मुद्दा वही पुराना—कांग्रेस‑भाजपा की भ्रष्टाचार बनाम प्रतिशोध की लड़ाई—लेकिन माध्यम ने सत्र के ठंडे माहौल में गरमाहट भर दी है।