प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस नेता शशि थरूर की खुले मंच पर तारीफ कर सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा कि थरूर जैसे नेताओं की विचारधारा भले ही अलग हो, लेकिन उनके तर्क और सोच का स्तर गंभीर होता है। पीएम मोदी के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दे दिया है।
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राजनीति में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन जब प्रधानमंत्री खुद विपक्षी नेता की खुले मंच पर सराहना करें, तो यह एक अलग राजनीतिक सौंदर्यबोध को दर्शाता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर एक बयान देते हुए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि “विपक्ष में भी कुछ नेता ऐसे हैं, जिनकी बातों में वजन होता है और वे संसद की गरिमा को बढ़ाते हैं।”
प्रधानमंत्री का यह बयान न केवल एक राजनीतिक चौंकाने वाला मोड़ है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र में स्वस्थ संवाद और सहमति-असहमति की संस्कृति को बढ़ावा देने का संकेत भी है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश चुनावी माहौल में है और राजनीतिक बयानबाजी अपने चरम पर है। ऐसे में पीएम मोदी का यह संतुलित और परिपक्व रुख एक नई राजनीति की ओर इशारा करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद में ऐसे कुछ नेता हैं, जो विषयों पर गंभीर शोध करते हैं, और उनके भाषण ज्ञान और दृष्टिकोण दोनों से परिपूर्ण होते हैं। शशि थरूर को लेकर उन्होंने जो बातें कहीं, वह इस बात का प्रमाण है कि विचारधारा अलग होने के बावजूद नेताओं को एक-दूसरे के योगदान का सम्मान करना चाहिए।
शशि थरूर, जो अपने अंग्रेजी भाषणों और वैश्विक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं, को लेकर प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी न केवल व्यक्तिगत सम्मान है, बल्कि यह राजनीतिक परिपक्वता का प्रतीक भी है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर भाजपा समर्थक इस बयान को प्रधानमंत्री की उदार और सर्वसमावेशी सोच के रूप में देख रहे हैं, वहीं कांग्रेस खेमे में भी इसे एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी इस बयान के जरिए उन बुद्धिजीवी मतदाताओं को संदेश देना चाहते हैं जो तर्क और सोच पर आधारित राजनीति को महत्व देते हैं। यह एक सॉफ्ट पॉलिटिकल इमेज को गढ़ने की कोशिश भी मानी जा रही है।
शशि थरूर ने भी प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया दी और कहा, “एक लोकतंत्र में परस्पर सम्मान ही संवाद की आधारशिला है। मैं प्रधानमंत्री की इस सराहना के लिए उनका धन्यवाद करता हूं।” थरूर के इस जवाब ने यह साबित कर दिया कि विचारों की भिन्नता के बावजूद आपसी सम्मान की जगह हमेशा होनी चाहिए।