AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ एक्ट में प्रस्तावित बदलावों के खिलाफ बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने साफ कहा कि सरकार अगर वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण करने की कोशिश करती है, तो इसका जोरदार विरोध किया जाएगा। ओवैसी ने वक्फ की हिफाजत के लिए कानूनी और लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने का संकल्प भी जताया।
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ एक्ट में प्रस्तावित बदलावों के खिलाफ एक मजबूत और मुखर बयान दिया है। ओवैसी ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर किसी भी तरह का अधिकार जताने या उन्हें कब्जे में लेने का प्रयास करेगी, तो इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने वक्फ की हिफाजत के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने और लोकतांत्रिक माध्यमों से आंदोलन छेड़ने का ऐलान भी कर दिया है।
हैदराबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में ओवैसी ने कहा कि वक्फ संपत्ति मुस्लिम समुदाय की अमानत है, और इसे किसी भी स्थिति में सरकार को सौंपने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड पहले से ही अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन अब इसे एक बड़े आंदोलन का रूप दिया जाएगा।
ओवैसी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों को कमजोर करने की एक सोची-समझी साजिश के तहत नए कानून लाए जा रहे हैं। उनका कहना था कि ये कानून अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर सीधा हमला है। उन्होंने सवाल किया कि जब मंदिरों और गुरुद्वारों की संपत्ति सुरक्षित है, तो वक्फ संपत्तियों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?
ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम समाज को एकजुट होकर इस लड़ाई में आगे आना होगा और हर संभव तरीके से अपने अधिकारों की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया जाएगा।
असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी ऐलान किया कि यदि जरूरत पड़ी तो वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट तक का रास्ता अपनाया जाएगा। उन्होंने देश के तमाम मुस्लिम नेताओं, धर्मगुरुओं और संगठनों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर एकजुट हों और सरकार के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाएं।
ओवैसी ने कहा कि वक्फ एक्ट में बदलाव का मतलब मुस्लिम समुदाय की सामाजिक और आर्थिक ताकत को कमजोर करना है, और इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
ओवैसी ने अन्य विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े हों। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सभी दलों को राजनीति से ऊपर उठकर समर्थन देना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार पीछे नहीं हटी, तो देशभर में बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।