AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वक़्फ़ अधिनियम‑1995 में प्रस्तावित संशोधनों को “समुदाय की सांस्कृतिक अमानत पर सीधा हमला” बताते हुए किसी भी स्थिति में नामंज़ूर कर दिया है। हैदराबाद में हुए “वक़्फ़ बचाओ जलसा” में ओवैसी ने केंद्र सरकार पर वक़्फ़ संपत्तियों के “सरकारीकरण” का आरोप लगाते हुए कानूनी, लोकतांत्रिक और जन‑आंदोलन—तीन मोर्चों पर लड़ाई की घोषणा की। उन्होंने संसद में संयुक्त विपक्षी रणनीति, सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका और ज़िला‑स्तर पर जनजागरूकता मुहिम का रोडमैप पेश किया।
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धारा‑52A: वक़्फ़ संपत्ति की “राष्ट्रीय रुचि” में अधिग्रहण का प्रावधान—ओवैसी बोले “राष्ट्रीय रुचि के नाम पर अल्पसंख्यक धरोहर की नीलामी नहीं होने देंगे।”
राज्य वक़्फ़ बोर्ड शक्तियाँ घटेंगी: निर्णय‑सत्ता कलेक्टर/SDM को—“यह संघीय ढाँचे व धार्मिक आज़ादी को कमजोर करता है।”
ट्रिब्यूनल की अपील अवधि बढ़ेगी: लंबी सुनवाई से अतिक्रमणकर्ता मज़बूत होंगे, असली मुतवल्ली भटकेंगे।
“वक़्फ़ हमारी माँ की तरह है—इसे कॉर्पोरेट मॉडल या जमीन बैंक बनाने की सोच छोड़ दीजिए। हम संविधान, संसद और सड़क—तीनों मंचों पर रुकावट बनेंगे।”
क़ानूनी मोर्चा: वरिष्ठ वकीलों की टीम सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 26 (धार्मिक संस्थान चलाने का अधिकार) के तहत चुनौती दायर करेगी।
संसदीय रणनीति: विपक्ष से “फास्ट‑ट्रैक संशोधन” को प्रवर समिति भेजने का आग्रह; MPS को श्वेत‑पत्र सौंपेंगे।
जन आंदोलन: 14 राज्यों में “वक़्फ़ अधिकार यात्रा”, इमाम‑मस्जिद कमेटियों के साथ रजिस्ट्रेशन‑ड्राइव, डिजिटल मैपिंग।
जमीयत उलमा‑ए‑हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी संशोधन को “नायज़िन्दा” बताया।
कुछ दलित, सिख और ईसाई संगठनों ने “धार्मिक ट्रस्टों पर संभावित मिसाल” को लेकर चिंता जताई।
अल्पसंख्यक मंत्रालय का बयान—“उद्देश्य पारदर्शी प्रबंधन और मृत पूंजी का उत्पादक उपयोग है, वक़्फ़ हित सुरक्षित रहेंगे।” लेकिन विस्तृत मसौदा सार्वजनिक न होने से आशंकाएँ कम नहीं हुईं।
भू‑कानून विद्वानों के अनुसार वक़्फ़ संपत्ति भारत में ~6 लाख एकड़ (अनुमानित बाजार मूल्य ₹2.5 लाख करोड़)। सुधार ज़रूरी है, पर राज्य टेकोवर से ज़्यादा ज़रूरत E‑ऑक्शन पारदर्शिता, मुतवल्ली ट्रेनिंग और GIS‑लॉकेटेड रजिस्टर की है।
चरण | लक्ष्य | समय‑सीमा |
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लीगल नोटिस | केंद्र/राज्य को संविधान 26 उल्लंघन चेतावनी | 2 सप्ताह |
सर्वदलीय सम्मेलन | संसद शीतकालीन सत्र पूर्व | 1 महीना |
डिजिटल मैपिंग ऐप | ड्रोन सर्वे + QR बोर्ड मस्जिद/दरगाह | 6 महीने |
“वक़्फ़ साक्षरता सप्ताह” | मदरसा, कॉलेज में जागरूकता | हर वर्ष, 2 अक्टूबर |
2024 लोकसभा के मुहाने पर वक़्फ़ मुद्दा मुसलमानों में भावनात्मक लामबंदी का केंद्र बन सकता है।
भाजपा इसे “संपत्ति‑सुधार बनाम तुष्टीकरण” की भाषा में पेश करेगी; AIMIM, कांग्रेस व क्षेत्रीय दल अल्पसंख्यक धरोहर रक्षा की टैगलाइन से मैदान में उतरेंगे।