भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने संविधान निर्माता डॉ. बी. आर. अंबेडकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने बाबा साहेब के योगदान को भारतीय लोकतंत्र और न्याय प्रणाली की नींव बताया। समारोह में न्यायपालिका, विधायिका और समाज के विभिन्न वर्गों ने भाग लिया।
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भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने आज नई दिल्ली स्थित अंबेडकर भवन में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर आयोजित समारोह में न्यायपालिका, प्रशासन, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विद्यार्थियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को विशेष बना दिया। CJI गवई ने अपने भाषण में डॉ. अंबेडकर के योगदान को भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर बताया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि “बाबा साहेब अंबेडकर केवल संविधान निर्माता नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और मानवाधिकारों के सच्चे पक्षधर थे। उन्होंने देश को वह आधारशिला दी जिस पर आज हमारा लोकतंत्र खड़ा है।” उन्होंने कहा कि संविधान का प्रत्येक अनुच्छेद डॉ. अंबेडकर की दूरदृष्टि और संवेदनशीलता का प्रमाण है।
श्रद्धांजलि समारोह के दौरान गवई ने यह भी उल्लेख किया कि आज भारत जिस प्रगति की ओर बढ़ रहा है, उसमें डॉ. अंबेडकर के विचारों का गहरा प्रभाव है। उन्होंने यह भी बताया कि न्यायपालिका को समाज के सभी वर्गों तक न्याय पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए, जैसा कि अंबेडकर का सपना था।
समारोह में डॉ. अंबेडकर के जीवन और संघर्षों पर आधारित एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी, जिसमें उनके शिक्षा के संघर्ष, विधायी योगदान और सामाजिक आंदोलन को विस्तार से दिखाया गया। उपस्थित दर्शकों ने प्रदर्शनी को सराहा और बाबा साहेब के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही।
इस मौके पर गवई ने विशेष रूप से युवा वर्ग को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें संविधान के मूल्यों को समझने और उसे आत्मसात करने की आवश्यकता है। “डॉ. अंबेडकर ने जो सोच और सिद्धांत हमें दिए हैं, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता के समय थे,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम के अंत में एक सांस्कृतिक प्रस्तुति हुई जिसमें दलित लोककला और अंबेडकर के जीवन पर आधारित गीत प्रस्तुत किए गए। यह प्रस्तुति भावनात्मक और प्रेरणादायक थी, जिसने दर्शकों को बाबा साहेब के विचारों से और भी गहराई से जोड़ दिया।
भारत में सामाजिक समानता, शिक्षा का अधिकार, और न्याय के क्षेत्र में डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी रोशनी की किरण हैं। CJI गवई ने इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कहा कि अंबेडकर के आदर्शों पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।
यह आयोजन केवल एक श्रद्धांजलि नहीं था, बल्कि यह एक प्रेरणास्त्रोत भी था जो हमें यह याद दिलाता है कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों का प्रतीक है।