भारत-पाक सीमा पर ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए जवान सुनील कुमार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी गई। गाँव के हजारों लोगों ने नम आँखों से अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई दी। इस दुखद घटना ने देशभर में शोक की लहर दौड़ा दी है और सीमा पर जारी तनाव को और गंभीर बना दिया है।
Updated Date
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच, एक और वीर सपूत ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में ड्यूटी के दौरान पाकिस्तानी गोलीबारी में जवान सुनील कुमार वीरगति को प्राप्त हो गए। जैसे ही यह समाचार उनके पैतृक गांव पहुंचा, पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। हर आंख नम थी, और हर दिल गर्व से भरा हुआ।
शहीद सुनील कुमार का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव लाया गया, हजारों लोग ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद सुनील अमर रहें’ के नारों के साथ उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। पूरे गांव ने अपने लाल को कंधा दिया, और अंतिम यात्रा में युवा, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सभी भावुक नजर आए।
सरकार की ओर से उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार दिया गया। सेना के जवानों ने सलामी दी और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ। उनके छोटे बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी। इस पल ने सभी को भावुक कर दिया। परिवार के लोगों ने बताया कि सुनील बचपन से ही देश सेवा का सपना देखा करते थे।
सुनील कुमार पिछले दस वर्षों से सेना में कार्यरत थे और हमेशा सीमा पर तैनात रहकर देश की सेवा में लगे रहे। वह न केवल एक बहादुर सैनिक थे, बल्कि गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी थे। उन्होंने कई बार युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।
भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव को देखते हुए यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्न खड़े करती है। हाल ही में पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा पर बार-बार सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें भारतीय जवानों को निशाना बनाया गया है। यह घटना उसी श्रृंखला की एक और दुखद कड़ी है।
राजनीतिक नेताओं और सैन्य अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। रक्षा मंत्री ने भी ट्वीट कर कहा कि सरकार शहीद के परिवार के साथ खड़ी है और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
गांव के लोगों ने मांग की है कि पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए ताकि हमारे सैनिकों की शहादत का बदला लिया जा सके। सोशल मीडिया पर भी सुनील कुमार को श्रद्धांजलि देने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। देशभर में कैंडल मार्च और मौन सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि जब भी देश पर संकट आता है, हमारे वीर सैनिक अपने प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं हटते। सुनील कुमार की शहादत को देश कभी नहीं भूलेगा। उनके बलिदान ने पूरे राष्ट्र को एकजुट कर दिया है और सीमा की सुरक्षा को लेकर लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है।
अब समय आ गया है कि सीमा पार से हो रहे हमलों का निर्णायक जवाब दिया जाए। देशवासियों को भी चाहिए कि वे सैनिकों के परिजनों के साथ खड़े हों और हर संभव सहायता प्रदान करें।
शहीद सुनील कुमार की बहादुरी, समर्पण और देशभक्ति आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने अपना आज हमारे कल के लिए बलिदान किया है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि उनके सपनों का भारत बनाएं — सुरक्षित, मजबूत और एकजुट।