पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक जनसभा में धार्मिक सहिष्णुता की बात करते हुए कहा कि भगवान विष्णु सबके हैं और किसी एक दल या व्यक्ति के पास धर्म का एकाधिकार नहीं हो सकता। उनका यह बयान सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने की दिशा में देखा जा रहा है। ममता ने सभी धर्मों को बराबर सम्मान देने की बात कही।
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर से धार्मिक सहिष्णुता और समावेशिता का संदेश देते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, “भगवान विष्णु सभी के हैं। किसी एक पार्टी या व्यक्ति के पास धर्म का ठेका नहीं है। भारत जैसे बहुधार्मिक देश में धर्म सभी का है, और इसे राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।”
यह बयान उस समय आया है जब देश में विभिन्न राज्यों में धार्मिक और राजनीतिक बयानों को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। ममता बनर्जी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि “हमारा भारत सबका है। यहां हर धर्म को मानने वालों को बराबर का अधिकार है। जो लोग भगवान को अपनी निजी संपत्ति समझते हैं, वे न तो धर्म का सही अर्थ जानते हैं और न ही संविधान का सम्मान करते हैं।”
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि तृणमूल कांग्रेस धर्म के नाम पर भेदभाव में विश्वास नहीं करती और उनकी सरकार सभी धर्मों को समान रूप से आदर देती है। उन्होंने कहा कि “हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई—सभी हमारे अपने हैं। हमारी संस्कृति यही सिखाती है कि विविधता में एकता ही भारत की पहचान है।”
ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि “कुछ राजनीतिक दल केवल चुनावों के समय धर्म की बातें करते हैं, लेकिन जब जनता को न्याय और अधिकार की जरूरत होती है, तब वे गायब हो जाते हैं।” उन्होंने धर्म के नाम पर राजनीतिक ध्रुवीकरण की भी आलोचना की।
बिना किसी पार्टी का नाम लिए ममता बनर्जी ने इशारों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को निशाने पर लेते हुए कहा कि “जो लोग मंदिर-मस्जिद की बात करके समाज को बांटना चाहते हैं, वे कभी सच्चे धार्मिक नहीं हो सकते।” उन्होंने चेताया कि धर्म को अगर राजनीति का साधन बना दिया गया, तो देश की एकता और अखंडता को खतरा हो सकता है।
ममता बनर्जी ने जनता से अपील की कि वे धार्मिक उकसावे और नफरत फैलाने वाले बयानों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि “हमारा धर्म हमें जोड़ने की शिक्षा देता है, तोड़ने की नहीं। हमें आपसी भाईचारे और मेल-जोल के साथ आगे बढ़ना है।”
उनका यह बयान पश्चिम बंगाल के आगामी त्योहारी सीजन और चुनावी माहौल को देखते हुए काफी अहम माना जा रहा है। ममता बनर्जी बार-बार यह साबित करने की कोशिश कर रही हैं कि उनकी सरकार सभी समुदायों के हितों की रक्षा करती है और धर्म को राजनीति से ऊपर रखती है।