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बैसाखी पर स्वर्ण मंदिर में ऐतिहासिक आतिशबाज़ी, आस्था और उल्लास का अद्भुत संगम

बैसाखी के पावन अवसर पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भव्य आतिशबाज़ी का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं ने रातभर गुरु की नगरी में भक्ति, सेवा और रंग-बिरंगी रोशनी के बीच पर्व का आनंद उठाया। ऐतिहासिक समारोह ने हर उम्र के लोगों के दिलों को छू लिया और विश्वभर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने अद्भुत नजारा देखा।

By bishanpreet345@gmail.com 

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बैसाखी का पर्व पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए विशेष महत्व रखता है। इस अवसर पर अमृतसर के प्रतिष्ठित स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में हर वर्ष की तरह इस बार भी भव्य आयोजन देखने को मिला। जैसे ही रात का अंधेरा छाया, स्वर्ण मंदिर परिसर रंगीन रोशनी और अद्भुत आतिशबाज़ी से जगमगा उठा। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इस ऐतिहासिक नजारे का साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से यहां जुटी थी।

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बैसाखी, जो कि खेती-किसानी के नववर्ष और फसल कटाई के जश्न का प्रतीक है, सिख समुदाय के लिए भी एक बेहद खास धार्मिक अवसर है। इसी दिन 1699 में दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए स्वर्ण मंदिर में हर वर्ष भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इस वर्ष भी, जैसे ही रात हुई, हरमंदिर साहिब का परिसर रोशनी से नहा उठा। विशेष रूप से तैयार की गई रंगीन लाइटिंग और आतिशबाज़ी ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इस अद्भुत दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया।

श्रद्धालु गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ और कीर्तन में लीन दिखे। दिनभर स्वर्ण मंदिर में अरदास, भजन और लंगर सेवा का विशेष आयोजन रहा। आतिशबाज़ी का कार्यक्रम मुख्यतः रात 9 बजे से शुरू हुआ और करीब आधे घंटे तक चलता रहा। आसमान में छाए रंग-बिरंगे नज़ारे न केवल अमृतसर, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी देखे जा सकते थे।

प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। भीड़ प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं और यातायात नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। सेवादारों ने हर श्रद्धालु की सुविधा का ध्यान रखा और इस पर्व को पूरी श्रद्धा और अनुशासन के साथ सफल बनाया।

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स्वर्ण मंदिर की परिक्रमा करते हुए श्रद्धालु वाहेगुरु के जयकारे लगा रहे थे। हर कोना दिव्यता और भक्ति से भर गया था। इस अवसर पर कई श्रद्धालुओं ने अमृतपान भी किया और धार्मिक विधियों का पालन करते हुए सेवा में भाग लिया।

पंजाब सरकार और श्री अकाल तख्त साहिब ने इस आयोजन में सहयोग दिया। बैसाखी के मौके पर आयोजित इस विशेष कार्यक्रम ने पंजाब के समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दुनिया के सामने फिर से प्रदर्शित किया।

देशभर से आए पर्यटक भी स्वर्ण मंदिर के इस रूप को देखकर अभिभूत हो गए। एक विदेशी पर्यटक ने कहा, “मैंने दुनिया में कई धार्मिक स्थल देखे हैं, लेकिन स्वर्ण मंदिर की भव्यता और यहां के आतिथ्य सत्कार ने मुझे गहरे प्रभावित किया है।”

बैसाखी के इस ऐतिहासिक आयोजन का लाइव प्रसारण भी किया गया, ताकि जो लोग यहां नहीं पहुंच पाए, वे भी इस भव्य दृश्य का आनंद अपने घरों से ले सकें। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी स्वर्ण मंदिर की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रही हैं।

सिख समुदाय के प्रमुख नेताओं ने अपने संदेशों में बैसाखी की शुभकामनाएं दीं और भाईचारे, एकता और सेवा के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।

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बैसाखी पर स्वर्ण मंदिर का आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह पंजाब की समृद्ध संस्कृति और सामूहिक उल्लास का भी प्रतीक है। आने वाले वर्षों में भी यह परंपरा और अधिक भव्यता से मनाई जाएगी, ऐसी उम्मीदें जताई जा रही हैं।

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