हालिया हालातों को देखते हुए रणनीतिक विशेषज्ञों ने कहा है कि युद्ध से बचना अभी देश के लिए बेहतर रहेगा, लेकिन किसी भी परिस्थिति के लिए पूरी तैयारी अनिवार्य है। विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक संबंधों और आंतरिक स्थिरता को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है। भारत को कूटनीति के साथ-साथ सैन्य स्तर पर भी चौकस रहने की सलाह दी गई है।
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वर्तमान वैश्विक और क्षेत्रीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए कई रणनीतिक विशेषज्ञों और सुरक्षा विश्लेषकों ने भारत को सलाह दी है कि अभी युद्ध में कूदना उचित नहीं होगा। हालाँकि, उन्होंने साथ ही यह भी चेतावनी दी कि रक्षा तैयारियों में कोई ढील नहीं बरती जानी चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल करते हुए वैश्विक समर्थन मजबूत करना चाहिए और सैन्य मोर्चे पर हर स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए।
विशेषज्ञों ने कहा कि वर्तमान समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है और कई देशों में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है, उस वक्त भारत के लिए सबसे उपयुक्त नीति “सावधानी और रणनीतिक तैयारी” होनी चाहिए। भारत को सीमा सुरक्षा, आंतरिक खुफिया तंत्र, और साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
भारत ने बीते वर्षों में अपनी वैश्विक कूटनीतिक स्थिति को काफी मजबूत किया है। संयुक्त राष्ट्र, G20, ब्रिक्स जैसे मंचों पर भारत की सक्रियता ने देश की छवि को एक मजबूत और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इस बढ़ती अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता का लाभ उठाकर अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए और युद्ध जैसे महंगे विकल्प से बचने का प्रयास करना चाहिए।
भारत को विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को संतुलित रखना चाहिए। जहां एक तरफ हमें सीमा पर चौकसी बरतनी है, वहीं दूसरी तरफ हमें वैश्विक मंचों पर कूटनीति से उन्हें घेरने की रणनीति पर भी काम करना चाहिए।
युद्ध से देश की आंतरिक स्थिरता और आर्थिक विकास को गंभीर झटका लग सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि, निवेश आकर्षण, और सामाजिक समरसता को बनाए रखना चाहिए। अगर देश के भीतर मजबूती रहेगी तो बाहरी खतरों का प्रभाव भी कम होगा।
युद्ध एक अंतिम विकल्प होना चाहिए, जिसे केवल तभी अपनाया जाए जब सभी राजनयिक और आर्थिक प्रयास विफल हो जाएं। इसीलिए आंतरिक एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मजबूत तंत्र को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि केवल सरकार और सेना ही नहीं, बल्कि आम जनता की भी भूमिका महत्वपूर्ण है। साइबर युद्ध, फेक न्यूज़, और डिजिटल प्रोपेगेंडा से निपटने के लिए जनता को सजग और जागरूक रहना चाहिए। देश को किसी भी स्तर पर डिजिटल और मानसिक हमलों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
जनता का मनोबल ऊंचा रखना और देश के प्रति विश्वास को बनाए रखना, किसी भी बाहरी खतरे के विरुद्ध भारत की सबसे बड़ी ताकत बन सकती है।