भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) पर शांति बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, दोनों देशों ने सीजफायर पर सहमति जताई। DGMO ने बताया कि एक ‘अप्रत्याशित’ संदेश पाकिस्तान की ओर से आया, जिसने वार्ता का रास्ता खोला। यह फैसला जमीनी हालात को स्थिर करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया।
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भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चल रही सीमा पर तनातनी के बीच DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि पाकिस्तान की ओर से आया एक मैसेज इस सीजफायर की नींव बना। DGMO ने बताया कि इस संदेश के बाद दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच संपर्क स्थापित हुआ और सीजफायर समझौते को अंतिम रूप दिया गया।
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सीमा पर लगातार हो रही गोलीबारी के बीच यह फैसला उन हजारों निर्दोष नागरिकों के लिए राहत की खबर लेकर आया है जो वर्षों से संघर्ष के बीच जीने को मजबूर थे। DGMO के अनुसार, यह सीजफायर 2021 में अचानक सामने आए एक संचार संदेश के माध्यम से शुरू हुआ। इस संदेश में पाकिस्तान ने संघर्ष विराम पर पुनर्विचार की बात रखी, जिस पर भारतीय पक्ष ने गंभीरता से विचार किया और उच्चस्तरीय सैन्य संवाद शुरू हुआ।
नई दिल्ली में हुई आंतरिक सुरक्षा बैठक में इस विषय पर गंभीर मंथन हुआ। प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलकर इस प्रस्ताव को स्वीकार करने का निर्णय लिया। DGMO के अनुसार, यह कदम केवल संघर्षविराम तक सीमित नहीं है, बल्कि सीमा पर विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है।
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इस समझौते के बाद LoC पर गोलीबारी की घटनाएं अचानक थम गईं और जमीनी स्थिति में सुधार देखने को मिला। DGMO ने बताया कि भारत ने इस बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा कि शांति बनाए रखने के लिए पाकिस्तान को अपने वादों पर खरा उतरना होगा और आतंकवाद को समर्थन बंद करना होगा।
गौरतलब है कि नियंत्रण रेखा पर हर साल सैकड़ों बार संघर्षविराम का उल्लंघन होता रहा है, जिससे भारत के सीमावर्ती गांवों में जान-माल का भारी नुकसान होता था। लेकिन इस सीजफायर के बाद ग्रामीण इलाकों में सामान्य जीवन धीरे-धीरे लौटता नजर आ रहा है। बच्चों ने स्कूल जाना शुरू किया, किसान फिर से खेतों में काम कर रहे हैं और बाजारों में रौनक लौटने लगी है।
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DGMO ने बताया कि इस संवाद को गोपनीय रखा गया ताकि राजनीतिक और रणनीतिक रूप से इसे बिना किसी दबाव के लागू किया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि बातचीत केवल सैन्य स्तर तक सीमित नहीं थी, बल्कि खुफिया एजेंसियों और विदेश मंत्रालय के बीच भी तालमेल बनाकर इसे आगे बढ़ाया गया।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह शांति स्थायी तभी रह सकती है जब पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर सीमा पार से किसी भी प्रकार की उकसाने वाली गतिविधि हुई, तो इसका सख्त जवाब दिया जाएगा।
इस पहल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हुई है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने भारत और पाकिस्तान के इस कदम को क्षेत्रीय शांति के लिए जरूरी बताया है।