पाकिस्तान ने गुरुवार को अचानक एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय स्वामित्व वाली और भारतीय ऑपरेटेड एयरलाइनों के लिए अपने एयरस्पेस को पूरी तरह से बंद करने की घोषणा कर दी। यह फैसला भारत-पाक के बीच जारी कूटनीतिक और सैन्य तनाव के बीच लिया गया है। इस कदम से न केवल हवाई यातायात प्रभावित होगा बल्कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।
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भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। गुरुवार को पाकिस्तान सरकार ने एक असाधारण फैसला लेते हुए अपने एयरस्पेस को भारतीय स्वामित्व वाली और भारतीय ऑपरेटेड सभी एयरलाइनों के लिए तत्काल प्रभाव से बंद करने की घोषणा की। पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (CAA) ने यह निर्णय सुरक्षा चिंताओं और “राष्ट्रहित” का हवाला देते हुए लिया है।
इस निर्णय के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई मार्ग बाधित हो गया है, जिससे यात्रियों को लंबा रूट लेना पड़ सकता है। साथ ही, उड़ानों की लागत और समय दोनों पर असर पड़ेगा। एयरलाइनों को अब वैकल्पिक मार्गों से होकर उड़ान भरनी होगी, जिससे वाणिज्यिक उड्डयन पर भारी वित्तीय बोझ बढ़ने की संभावना है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान का यह कदम केवल हवाई सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के खिलाफ एक रणनीतिक और कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश है। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर हालात पहले से ही तनावपूर्ण हैं। एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर अक्सर संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाएं सामने आ रही हैं।
कई विश्लेषकों का यह भी मानना है कि पाकिस्तान के इस कदम के पीछे आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को लेकर चिंता भी एक वजह हो सकती है।
इस एयरस्पेस बंदी का सबसे बड़ा असर उन यात्रियों पर पड़ेगा जो भारत से यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों की उड़ानों में पाकिस्तान के एयरस्पेस का उपयोग करते थे। एयरलाइनों को अब लंबे और महंगे मार्गों से होकर उड़ान भरनी पड़ेगी। इससे न केवल उड़ानों की लागत बढ़ेगी बल्कि समय भी दोगुना हो सकता है।
एयर इंडिया, इंडिगो, विस्तारा और अन्य प्रमुख भारतीय एयरलाइनों को नई फ्लाइट प्लानिंग करनी पड़ेगी और कई रूट्स पर अस्थायी उड़ानें रद्द भी की जा सकती हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे “अनावश्यक और हानिकारक कदम” बताया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा क्षेत्रीय सहयोग और हवाई यातायात की स्वतंत्रता का समर्थन किया है। उन्होंने पाकिस्तान से इस फैसले को जल्द से जल्द पुनर्विचार करने की अपील की है ताकि यात्रियों की परेशानी कम हो सके।
भारत का यह भी कहना है कि ऐसे कदमों से क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व को नुकसान पहुंचता है, और दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की प्रक्रिया और कठिन हो जाती है।
संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) और अन्य वैश्विक संस्थाएं भी इस स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। यदि यह एयरस्पेस प्रतिबंध लंबे समय तक जारी रहता है, तो यह वैश्विक उड्डयन मार्गों को भी प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों को कूटनीतिक बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने की दिशा में बढ़ना चाहिए।