जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस भयावह घटना के दौरान मौजूद चश्मदीदों ने जो बताया, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला है। गोलियों की बौछार, चीख-पुकार और खून से सनी सड़कें—ये सब कुछ मानो एक डरावने सपने जैसा था।
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शनिवार की शाम जब पहलगाम की वादियों में सैलानी शांति का आनंद ले रहे थे, तभी अचानक गोलियों की गूंज ने सब कुछ बदल दिया। आतंकियों ने टूरिस्ट बस को निशाना बनाया, जिसमें कई पर्यटक सवार थे। हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिससे बस का ड्राइवर भी घायल हो गया और बस सड़क पर पलट गई। इसके बाद आतंकियों ने बस को चारों ओर से घेरकर करीब 10 मिनट तक गोलीबारी की।
हमले के वक्त वहीं मौजूद पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने बताया कि जब गोलियां चलनी शुरू हुईं, तब उन्हें समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। “हमने चारों ओर से गोलियों की आवाजें सुनीं, बच्चे रो रहे थे, लोग इधर-उधर भाग रहे थे,” एक महिला ने कहा जो उस बस में सवार थी। एक स्थानीय दुकानदार ने बताया, “मैंने कई घायल लोगों को अपनी दुकान के पीछे छुपाया। कई लोग खून से लथपथ थे।”
हमले की सूचना मिलते ही सेना और CRPF के जवान मौके पर पहुंचे और आतंकियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। घायल लोगों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जिससे कई जानें बचाई जा सकीं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि हमला पूर्व नियोजित था, और इसमें सीमा पार से मिले निर्देश शामिल हो सकते हैं।
इस हमले ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया इनपुट्स पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या इस तरह के हमलों की कोई जानकारी पहले से नहीं थी? क्या रूट की निगरानी पर्याप्त नहीं थी? विशेषज्ञों का कहना है कि खुफिया तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि ऐसे हमले रोके जा सकें।
हमले के तुरंत बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि सरकार देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर नाकाम साबित हो रही है। वहीं, भाजपा नेताओं ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि ऐसे वक्त में राजनीति नहीं करनी चाहिए बल्कि एकजुट होकर आतंक के खिलाफ खड़े होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि “शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।” वहीं, राष्ट्रपति ने भी ट्वीट कर कहा कि देश इस मुश्किल समय में पीड़ित परिवारों के साथ है।
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ झलक रहा है। #JusticeForVictims ट्रेंड कर रहा है। लोग मांग कर रहे हैं कि आतंकियों को ऐसी सज़ा दी जाए जो दूसरों के लिए मिसाल बने। कैंडल मार्च, श्रद्धांजलि सभाएं और विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं।
इस हमले के बाद देश की निगाहें अब सरकार की अगली रणनीति पर टिकी हैं। क्या फिर से सर्जिकल स्ट्राइक होगी? क्या पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर घेरा जाएगा? ये आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल पूरा देश एक ही बात कह रहा है—अब और नहीं!