नेपाल प्रांत के मुख्यमंत्री कमल बहादुर ने अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने इसे आध्यात्मिक अनुभव बताते हुए भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को ऐतिहासिक और गहरे बताया। उनके इस दौरे ने दोनों देशों के पारंपरिक जुड़ाव को फिर से रेखांकित किया है।
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नेपाल प्रांत के मुख्यमंत्री कमल बहादुर ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर में दर्शन और पूजा-अर्चना की। उनके साथ नेपाल से आए शिष्टमंडल के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूती देने के रूप में देखा जा रहा है।
हनुमान गढ़ी मंदिर में पूजा करते समय कमल बहादुर ने भगवान हनुमान से नेपाल और भारत के नागरिकों की समृद्धि, शांति और आपसी सौहार्द के लिए प्रार्थना की। पूजा के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “भारत और नेपाल के बीच केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आत्मिक और सांस्कृतिक संबंध भी हैं, जो हजारों वर्षों पुराने हैं।”
मुख्यमंत्री का यह दौरा केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह भारत-नेपाल के गहरे ऐतिहासिक संबंधों को उजागर करने का भी अवसर था। उन्होंने कहा कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या और जनकपुर के बीच का रिश्ता सिर्फ राम-सीता के विवाह से नहीं, बल्कि दो देशों की धार्मिक आत्मा से जुड़ा हुआ है।
कमल बहादुर की पूजा-अर्चना और हनुमान गढ़ी में श्रद्धा ने वहां उपस्थित भक्तों को भी भावविभोर कर दिया। स्थानीय पुजारियों ने उनका पारंपरिक रूप से स्वागत किया और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विशेष पूजा करवाई गई।
अपनी यात्रा के दौरान कमल बहादुर ने इस बात के भी संकेत दिए कि भारत और नेपाल के धार्मिक पर्यटन स्थलों को जोड़ने के लिए दोनों देशों को साझा प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि “अगर हम अपने आध्यात्मिक धरोहरों को एक-दूसरे से जोड़ें, तो यह दोनों देशों के बीच लोकप्रियता और सहयोग को बढ़ावा देगा।”
इसके अलावा उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार रामायण सर्किट योजना में रुचि रखती है और भारत के साथ इस पर कार्य करने को तैयार है।
हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत और स्थानीय प्रशासन ने नेपाल के मुख्यमंत्री के इस दौरे को “धार्मिक सौहार्द और साझी विरासत” का प्रतीक बताया। मंदिर प्रबंधन समिति ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट किया और इस यात्रा को ऐतिहासिक करार दिया।
श्रद्धालुओं ने भी इस अवसर पर नेपाल-भारत के संबंधों पर गर्व व्यक्त किया और कहा कि “यह केवल एक राजनीतिक यात्रा नहीं बल्कि एक धार्मिक एकता का प्रतीक है।”