केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जाति जनगणना पर चल रही राजनीतिक बहस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल बिना आधार के इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधान ने साफ किया कि इस निर्णय के पीछे वास्तविक प्रयासों और संवैधानिक सोच की भूमिका रही है, न कि झूठे प्रचार की।
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जाति जनगणना को लेकर देश की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। इस बहस के केंद्र में अब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान आ गए हैं जिन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “कुछ लोग झूठे दावे कर श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं,” जबकि वास्तव में इस कदम के पीछे वर्षों की नीति-निर्माण प्रक्रिया और जनता की मांग रही है। प्रधान ने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी सामाजिक सुधार के प्रयासों में सत्य, पारदर्शिता और संवैधानिक मूल्यों को प्राथमिकता देती है।
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने बयान में विपक्ष पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि “जनसंख्या आधारित न्याय और संसाधन वितरण” को लेकर कई दल केवल राजनीतिक लाभ के लिए बातें कर रहे हैं, जबकि हकीकत में उनकी भूमिका शून्य रही है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना जैसा संवेदनशील निर्णय केवल प्रचार के लिए नहीं लिया जाता, इसके लिए गंभीर सामाजिक अध्ययन और नीतिगत प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।
जाति जनगणना की मांग कोई नई नहीं है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक दलों द्वारा श्रेय लेने की होड़ अब चर्चा का विषय बन गई है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो भी कदम उठाए गए हैं, वे न्यायसंगत समाज की दिशा में हैं और इनका उद्देश्य सामाजिक संतुलन को बनाए रखना है, न कि किसी एक वर्ग को लाभ पहुंचाना।
प्रधान ने कहा कि यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने का है कि जनगणना के आंकड़े पारदर्शिता से सामने आएं और सरकार इनका उपयोग नीतियों को बेहतर बनाने के लिए करे। उन्होंने यह भी कहा कि जातीय आंकड़े सिर्फ गिनती नहीं हैं, बल्कि वंचित वर्गों की स्थिति सुधारने का आधार हैं।
धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि केंद्र सरकार सभी वर्गों की पहचान और प्रगति को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित आंकड़े एक सशक्त नीतिगत औजार के रूप में सामने आ सकते हैं, जिससे शिक्षा, रोजगार और सामाजिक विकास से जुड़ी योजनाओं को और बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।
प्रधान ने इस मुद्दे पर राजनीतिक एकता की अपील करते हुए कहा कि “सिर्फ बयानबाजी से समाज का भला नहीं होगा।” अगर सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर काम करें तो देश को जातिगत असमानताओं से मुक्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना को लेकर सरकार का उद्देश्य केवल आंकड़े इकट्ठा करना नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय को व्यवहार में लाना है।