दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राजधानी में 1139 आरोग्य मंदिर बनाने की घोषणा की है। इस महत्वाकांक्षी योजना का मकसद है हर नागरिक को घर के पास प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना। इस कदम को दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
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नई दिल्ली — राजधानी दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती देने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने घोषणा की है कि शहर में 1139 आरोग्य मंदिर (Arogya Mandir) बनाए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य है कि हर नागरिक को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से और समय पर उपलब्ध हो सकें।
रेखा गुप्ता ने प्रेस वार्ता में कहा, “स्वास्थ्य नागरिक ही सशक्त राष्ट्र की नींव होते हैं। हमारा लक्ष्य है कि कोई भी व्यक्ति इलाज के अभाव में पीड़ित न हो।” उन्होंने बताया कि आरोग्य मंदिरों में बेसिक चेकअप, डॉक्टर कंसल्टेशन, डायग्नोस्टिक टेस्ट, और जनऔषधि केंद्रों की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
आरोग्य मंदिरों को दिल्ली के हर वार्ड और मोहल्ले में स्थापित किया जाएगा ताकि लोगों को बड़े अस्पतालों की भीड़ से मुक्ति मिले। इन केंद्रों पर MBBS डॉक्टर, ANM स्टाफ, फार्मासिस्ट, और डायग्नोस्टिक लैब उपलब्ध कराई जाएगी। सभी केंद्रों को डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स से जोड़ा जाएगा, जिससे मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री संरक्षित रहेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना को तीन चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में 400 केंद्र बनाए जाएंगे, जिनका कार्य सितंबर 2025 तक पूरा किया जाएगा। इसके बाद बाकी 739 केंद्र 2026 तक तैयार होंगे।
स्थानीय नागरिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत किया है। दक्षिण दिल्ली निवासी अनुज तिवारी का कहना है, “कई बार छोटी बीमारी के लिए भी बड़े अस्पताल जाना पड़ता था, अब पास में इलाज मिल जाएगा।” वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह योजना बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और गरीब वर्ग के लिए खासतौर पर लाभकारी होगी।
हालांकि विपक्षी दलों ने इस योजना को लेकर सवाल भी खड़े किए हैं। AAP पार्टी ने कहा कि “मोहल्ला क्लिनिक” जैसी पुरानी योजनाओं को आगे बढ़ाने की बजाय सरकार सिर्फ नाम बदल रही है। कांग्रेस ने योजना के क्रियान्वयन और बजट पर पारदर्शिता की मांग की है।
सीएम रेखा गुप्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम सिर्फ योजनाएं घोषित नहीं करते, उन्हें जमीन पर उतारते हैं। जो लोग काम नहीं करना चाहते, वो ही सवाल उठाते हैं।”
दिल्ली सरकार ने इस योजना के लिए 3500 करोड़ रुपये का अलग बजट निर्धारित किया है। बजट का बड़ा हिस्सा इन्फ्रास्ट्रक्चर, मेडिकल इक्विपमेंट्स और ह्यूमन रिसोर्सेज पर खर्च किया जाएगा। साथ ही योजना को PPP मॉडल (Public Private Partnership) के तहत लागू किया जा सकता है, जिससे निजी कंपनियों की मदद से कार्य तेज़ हो।
आरोग्य मंदिरों को तकनीक से जोड़ने के लिए टेलीमेडिसिन सेवा, ई-हेल्थ कार्ड, और AI-बेस्ड डायग्नोसिस सिस्टम भी लागू किया जाएगा। इससे ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के लोगों को एक समान सुविधा मिल सकेगी।