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तिरंगे के साए में “ऑपरेशन सिंदूर” को सलामी: जामिया छात्रों ने सेना के समर्थन में दिखाई एकजुटता

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने "ऑपरेशन सिंदूर" में भारतीय सेना की वीरता और त्याग को सम्मानित करते हुए एकजुटता दिखाई। छात्रों ने हाथों में तिरंगा लेकर नारे लगाए और देशभक्ति का संदेश दिया। यह प्रदर्शन न सिर्फ सेना के समर्थन में था, बल्कि देशभर में युवाओं के बीच एक सकारात्मक संदेश भी लेकर आया।

By bishanpreet345@gmail.com 

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नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि देश की अखंडता और सेना के प्रति सम्मान किसी जाति, धर्म या राजनीतिक विचारधारा से परे है। “ऑपरेशन सिंदूर” में भारतीय सेना द्वारा दिखाए गए अद्वितीय साहस और बलिदान के समर्थन में विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों ने तिरंगा यात्रा निकाली और देशभक्ति के नारों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया।

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सेना की इस विशेष कार्रवाई, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया है, ने भारत की सीमा पर आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक बनकर उभरा है। यह ऑपरेशन सिर्फ सैन्य सफलता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा में सेना की प्रतिबद्धता और बलिदान का उदाहरण भी है। ऐसे समय में जब देश की सीमाओं पर तनाव चरम पर है, युवाओं द्वारा सेना के समर्थन में एकता दिखाना भारतीय लोकतंत्र की शक्ति को दर्शाता है।

जामिया के छात्रों द्वारा किया गया यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण और संगठित था। छात्रसंघ और स्वतंत्र छात्र समूहों ने मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें ‘जय हिंद’, ‘वंदे मातरम्’, ‘भारतीय सेना अमर रहे’ जैसे नारों की गूंज सुनाई दी। छात्रों ने हाथों में तिरंगा लहराया और देशभक्ति की कविताओं और गीतों के माध्यम से अपने जज़्बे को व्यक्त किया।

यह दृश्य भारतीय लोकतंत्र और युवा शक्ति की खूबसूरती को दर्शाता है, जहाँ विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाले छात्र एक साझा उद्देश्य—देश के वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने—के लिए एक मंच पर एकत्रित होते हैं। इस तरह की एकजुटता यह संकेत देती है कि देश का युवा वर्ग केवल शिक्षित है बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों के प्रति सजग और संवेदनशील भी है।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्र आरिफ खान ने कहा, “हमारे लिए यह सिर्फ एक मार्च नहीं, बल्कि सेना के बलिदान को सम्मान देने का तरीका है। हम चाहते हैं कि हर जवान को यह महसूस हो कि देश का युवा उनके साथ है।” वहीं छात्रा नुसरत फातिमा ने कहा, “हमने मीडिया में कई बार देखा है कि जामिया को गलत संदर्भों में दिखाया गया, लेकिन आज हम यह बताना चाहते हैं कि हम भी भारत माता के वही बेटे-बेटियाँ हैं जो देश के लिए जीना और मरना जानते हैं।”

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यह पहल सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है, जहाँ #OperationSindoor, #JamiaWithArmy और #TirangaMarch जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग इस अभियान को नई पीढ़ी के बीच देशभक्ति की भावना को मजबूत करने वाला कदम बता रहे हैं। खास बात यह है कि इसमें किसी भी राजनीतिक दल का हस्तक्षेप नहीं था, जिससे यह प्रदर्शन और अधिक विश्वसनीय और जनभावनाओं से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है।

जामिया के इस कदम की देशभर में सराहना हो रही है। रक्षा विशेषज्ञों और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी इस एकजुटता की प्रशंसा की है। पूर्व मेजर जनरल आर.एस. चौहान ने कहा, “जब देश के छात्र इस तरह खुलकर सेना के समर्थन में खड़े होते हैं, तो यह जवानों के मनोबल को अत्यधिक बढ़ाता है। यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक समर्थन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक परिवर्तन का संकेत है।”

ऑपरेशन सिंदूर” के प्रति जामिया छात्रों की यह पहल दर्शाती है कि देश के भविष्य निर्माता—हमारे युवा—देश की सुरक्षा, अखंडता और गौरव के लिए हमेशा तैयार हैं। यह प्रयास आने वाले समय में अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।

भारत की विविधता में एकता की यह मिसाल दर्शाती है कि चाहे किसी भी पृष्ठभूमि से हों, जब बात देश के सम्मान की हो, तो हर भारतीय का दिल एक साथ धड़कता है।

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