अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापना को लेकर एक बार फिर से बड़ा दावा किया है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति करवाई, लेकिन वो इसे आधिकारिक तौर पर नहीं कहेंगे। सोशल मीडिया पर ट्रंप का ये बयान तेजी से वायरल हो रहा है और भारत-पाकिस्तान के कूटनीतिक रिश्तों पर नई बहस शुरू हो गई है।
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। ट्रंप ने कहा, “मैंने इंडिया-पाकिस्तान के बीच शांति समझौता करवाया था, लेकिन मैं ये कहूंगा नहीं…” उनके इस वाक्य ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप पहले भी इस तरह के दावे कर चुके हैं, लेकिन इस बार उनका बयान ऐसे समय आया है जब दक्षिण एशिया में कूटनीतिक संबंधों को लेकर संवेदनशीलता और अधिक बढ़ी हुई है। ट्रंप के इस दावे पर भारतीय और पाकिस्तानी विश्लेषकों की भी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है।
ट्रंप का पुराना रिकॉर्ड और भारत-पाक संबंध
डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल (2017-2021) भले ही विवादों से भरा रहा हो, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी व्यक्तिगत केमिस्ट्री काफी अच्छी मानी जाती थी। ट्रंप जब 2019 में ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में शामिल हुए थे, तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं, बशर्ते दोनों देश सहमत हों।
हालाँकि भारत सरकार ने उस समय साफ किया था कि कश्मीर या किसी भी द्विपक्षीय मुद्दे में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं होगी। भारत की स्पष्ट नीति रही है कि भारत-पाकिस्तान के मसले द्विपक्षीय तरीके से हल होंगे।
बयान की टाइमिंग और रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब वे 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में फिर से प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं। उनके ऐसे बयानों को चुनावी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है, जिससे वे विदेश नीति में अपनी भूमिका को अमेरिकी जनता के सामने प्रभावशाली ढंग से पेश कर सकें।
इससे यह संदेश भी देने की कोशिश हो रही है कि जब वे राष्ट्रपति थे, तब दुनिया में तनाव कम था और उन्होंने कई देशों के बीच शांति बनाए रखी थी – जिसमें उत्तर कोरिया, ईरान, और अब भारत-पाकिस्तान का भी नाम जोड़ा जा रहा है।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस बयान को लेकर ट्विटर, यूट्यूब और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कुछ यूजर्स ने इसे “पब्लिसिटी स्टंट” कहा, तो कुछ ने इसे भारत और पाकिस्तान के रिश्तों के बीच “फर्जी मध्यस्थता” बताई।
भारतीय यूजर्स का कहना है कि भारत ने कभी किसी तीसरे पक्ष की जरूरत महसूस नहीं की और यह दावा केवल ट्रंप की चुनावी राजनीति का हिस्सा है। वहीं, कुछ पाकिस्तानी यूजर्स इस दावे को “आशा की किरण” बताते हुए ट्रंप की संभावित वापसी को सराहा रहे हैं।
भारत की आधिकारिक चुप्पी
भारत सरकार की तरफ से इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन विदेश मंत्रालय के पुराने स्टैंड को देखते हुए ये साफ है कि भारत किसी भी विदेशी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता। भारत हमेशा से कहता आया है कि कश्मीर समेत सभी विवादों का हल केवल द्विपक्षीय बातचीत से ही संभव है।
ट्रंप और विवादित बयान
यह पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने इस तरह का कोई बड़ा और विवादास्पद बयान दिया हो। इससे पहले भी उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में कश्मीर की स्थिति को “खतरनाक” बताया था, जिससे भारतीय राजनीतिक हलकों में विरोध हुआ था।
ट्रंप अपने स्पष्ट और कई बार अप्रत्याशित बयानों के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर मुद्दों को सनसनीखेज बना देते हैं, जो मीडिया की सुर्खियाँ बटोरने में मददगार साबित होता है।