श्रीनगर की प्रसिद्ध डल झील में पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) ने मिलकर एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया। इसका उद्देश्य आपातकालीन परिस्थितियों में रेस्क्यू और राहत कार्यों की प्रभावशीलता को परखना था। इस अभ्यास के दौरान पानी में डूबते लोगों को बचाने, नाव पलटने और बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के कई रियल-टाइम सिमुलेशन किए गए।
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श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर की पहचान डल झील न केवल एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, बल्कि हजारों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा भी है। किसी भी आपदा या आपातकालीन परिस्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) ने मिलकर डल झील में एक वृहद मॉक ड्रिल का आयोजन किया।
यह मॉक ड्रिल प्राकृतिक आपदा, नाव पलटने, डूबने की घटना या अचानक बाढ़ जैसी स्थितियों से निपटने के लिए की गई थी। इस अभ्यास के दौरान पुलिस और SDRF के जवानों ने जल सुरक्षा उपकरणों, रेस्क्यू बोट्स और डाइविंग यूनिट्स की सहायता से आपातकालीन स्थिति में कैसे काम किया जाता है, इसका जीवंत प्रदर्शन किया।
मॉक ड्रिल की खासियत यह थी कि इसमें अंतर विभागीय समन्वय पर विशेष ध्यान दिया गया। जब एक नाव डूबने की सिमुलेशन की गई, तब तुरंत SDRF की बोट मौके पर पहुंची और घायल व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के बाद सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया गया। इसके साथ ही, रेड क्रॉस, मेडिकल टीम, और फायर ब्रिगेड की यूनिट्स ने भी समयबद्ध प्रतिक्रिया दी।
शहर के विभिन्न आपदा प्रबंधन अधिकारियों की मौजूदगी में इस अभ्यास को देखा गया और इसकी प्रभावशीलता को सराहा गया। इस दौरान डल झील के पास मौजूद आम नागरिकों को भी आपदा के समय सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए।
श्रीनगर के SSP ने मॉक ड्रिल के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “हमारी कोशिश है कि किसी भी आपात स्थिति में हमारी टीमें तत्परता और कुशलता से काम करें। डल झील जैसी संवेदनशील जगह पर इस तरह की तैयारी ज़रूरी है ताकि पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।”
उन्होंने यह भी कहा कि आगे चलकर ऐसे प्रशिक्षण अभियानों को बढ़ाया जाएगा और आम लोगों को भी इसमें शामिल किया जाएगा ताकि ज़मीनी स्तर पर जागरूकता और तैयारी को और मजबूत किया जा सके।
SDRF की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ऐसे मॉक ड्रिल्स आपदा प्रतिक्रिया की तैयारियों को परखने का सबसे अच्छा तरीका हैं। समय-समय पर यह अभ्यास यह सुनिश्चित करते हैं कि टीमों को रेस्क्यू तकनीकों, जल-प्रबंधन, और राहत कार्यों का पूरा ज्ञान हो।
इस अभ्यास ने स्पष्ट किया कि किसी भी प्राकृतिक या मानवीय आपदा के समय, यदि सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें तो जान-माल का नुकसान न्यूनतम किया जा सकता है।