Booking.com
  1. हिन्दी समाचार
  2. क्षेत्रीय
  3. जाति जनगणना पर बोले Asaduddin Owaisi: ‘राष्ट्रीय जनगणना में हो समावेश, तभी मिलेगा न्याय’

जाति जनगणना पर बोले Asaduddin Owaisi: ‘राष्ट्रीय जनगणना में हो समावेश, तभी मिलेगा न्याय’

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जाति जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा बनाया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक सभी जातियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आंकलन नहीं होगा, तब तक सच्चे सामाजिक न्याय की नींव नहीं रखी जा सकती। ओवैसी ने इसे संविधान के मूल उद्देश्यों की पूर्ति से जोड़ा।

By bishanpreet345@gmail.com 

Updated Date

ओवैसी की दो टूक: ‘जातिगत आंकड़े बगैर नहीं होगा सामाजिक न्याय’

असदुद्दीन ओवैसी, जो अपने बेबाक बयानों और अल्पसंख्यक अधिकारों की पैरवी के लिए जाने जाते हैं, ने अब जाति जनगणना को लेकर केंद्र सरकार को सीधा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यदि सभी वर्गों की वास्तविक सामाजिक और आर्थिक स्थिति को समझना है, तो जाति आधारित जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए।

पढ़ें :- Waqf कानून पर सपा सांसद धर्मेन्द्र यादव का तीखा हमला: सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

हैदराबाद में आयोजित एक जनसभा में बोलते हुए ओवैसी ने कहा, “आप जब तक सामाजिक संरचना को नहीं जानेंगे, तब तक नीतियां बनाना सिर्फ कागज़ी कवायद बनकर रह जाएगी। पिछड़े वर्गों, दलितों और अल्पसंख्यकों को उनका हक तभी मिल सकता है जब सरकार के पास उनके सामाजिक और आर्थिक हालात की सही जानकारी हो।”

जातिगत आंकड़ों की जरूरत क्यों?

ओवैसी का मानना है कि आरक्षण, योजनाएं और सामाजिक कल्याण तब तक अधूरी रहेंगी जब तक नीति निर्माण के पीछे ठोस डेटा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जातिगत आधार पर आंकड़े नहीं जुटाना एक राजनीतिक साजिश है जिससे वंचित वर्गों को हाशिए पर रखा जा सके। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “सरकार को सब पता है, लेकिन वो जानबूझकर आंखें बंद कर रही है।”

विपक्ष को भी दिया संदेश

ओवैसी ने विपक्षी दलों से भी अपील की कि वे जाति जनगणना के मुद्दे पर केवल राजनीतिक बयानबाज़ी न करें, बल्कि संसद में इसके लिए दबाव बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि जातिगत आंकड़ों का खुलासा करने से न केवल सामाजिक संतुलन बेहतर होगा, बल्कि यह भी साफ होगा कि किन समुदायों को विकास योजनाओं का लाभ मिल रहा है और किन्हें नहीं।

अल्पसंख्यकों की भागीदारी पर सवाल

AIMIM प्रमुख ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों को लेकर सरकार की नीतियों में पारदर्शिता की कमी है। उन्होंने कहा, “जाति जनगणना से यह भी पता चलेगा कि मुस्लिम, दलित और पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों, शिक्षा और योजनाओं में कितनी भागीदारी मिल रही है।”

पढ़ें :- जातीय जनगणना पर सरकार के रुख से गुजरात कांग्रेस उत्साहित, राहुल गांधी को दिया श्रेय

जाति जनगणना: क्या कहती है राजनीति?

जाति जनगणना को लेकर भारतीय राजनीति में काफी समय से चर्चा है। कुछ राज्यों ने स्वतंत्र रूप से अपने स्तर पर जातिगत जनगणना कराई है, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक इसे राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा नहीं बनाया। ओवैसी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब 2024 के आम चुनावों के लिए राजनीतिक दल सामाजिक न्याय के एजेंडे को लेकर काफी सक्रिय हो गए हैं।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि सरकार वाकई समावेशी विकास चाहती है, तो उसे सबसे पहले समाज की हकीकत को समझना होगा – और वह तभी संभव है जब हर जाति और समुदाय का दस्तावेजीकरण किया जाए।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com