प्रियंका गांधी ने जाति जनगणना को सामाजिक न्याय की नींव बताते हुए इसे जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि जब तक सभी वर्गों की सही हिस्सेदारी नहीं होगी, तब तक बराबरी संभव नहीं है। कांग्रेस इसे अपने एजेंडे में शामिल कर चुकी है और सत्ता में आते ही इसे लागू करेगी। यह बयान आने वाले चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है।
Updated Date
जाति जनगणना: सामाजिक न्याय की दिशा में एक ठोस कदम
देश में जाति जनगणना को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है और इस मुद्दे पर अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा का बयान सामने आया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि जाति आधारित जनगणना केवल आंकड़े इकट्ठा करने का काम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
कांग्रेस की सोच है स्पष्ट
प्रियंका गांधी ने अपने बयान में कहा कि जब तक समाज के सभी वर्गों की सही हिस्सेदारी सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक समावेशी विकास संभव नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस पार्टी जातिगत जनगणना के पक्ष में है और अगर सत्ता में आती है तो इसे तुरंत लागू किया जाएगा।
उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सरकार ने इस दिशा में एक मजबूत शुरुआत की है और यह दिखाता है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो ऐसा कदम उठाना संभव है।
क्यों जरूरी है जाति जनगणना?
प्रियंका गांधी ने यह सवाल भी उठाया कि अगर आर्थिक जनगणना हो सकती है, सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण हो सकते हैं, तो जाति जनगणना क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर ही सरकारी योजनाएं बनती हैं, आरक्षण तय होता है, लेकिन अभी तक हमारे पास इस पर कोई ठोस आंकड़े नहीं हैं।
जाति जनगणना से यह साफ हो सकेगा कि किस वर्ग की आबादी कितनी है, उन्हें किन-किन क्षेत्रों में कितना प्रतिनिधित्व मिल रहा है और किसे कितना हक मिलना चाहिए। इससे न केवल नीतियों में पारदर्शिता आएगी, बल्कि दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्गों को उनका वास्तविक अधिकार भी मिलेगा।
चुनावी एजेंडा और सामाजिक समीकरण
यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। कांग्रेस जाति जनगणना को अपने चुनावी एजेंडे में प्रमुख रूप से शामिल कर रही है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि पार्टी अब सोशल इंजीनियरिंग की नीति को अपनाने जा रही है।
प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि असली तस्वीर सामने आए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस डर से पीछे नहीं हटेगी और सच्चाई को सामने लाने के लिए हर कदम उठाएगी।
समाज में एक नया संवाद
प्रियंका गांधी के इस बयान के बाद जाति जनगणना को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। यह न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि समाज के हर वर्ग में चर्चा का विषय बन चुका है। विशेषकर युवाओं, विद्यार्थियों और सामाजिक संगठनों के बीच यह मुद्दा जोर पकड़ रहा है।
जातिगत जनगणना की मांग वर्षों से हो रही है, लेकिन अब इसे एक मजबूत राजनीतिक समर्थन मिला है। अगर इसे सही दिशा में लागू किया जाए, तो यह देश के सामाजिक ढांचे को मजबूत कर सकता है।
निष्कर्ष
प्रियंका गांधी का यह बयान न केवल कांग्रेस की नीति को स्पष्ट करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आने वाले समय में जातिगत जनगणना एक केंद्रीय मुद्दा बनने वाला है। यह कदम न केवल राजनीतिक रूप से अहम है, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास भी है।