लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने जाति जनगणना का खुला समर्थन करते हुए इसे जनता की मांग और सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि इस कदम से देश में सभी वर्गों को बराबरी का हक मिलेगा और नीतियों के निर्माण में पारदर्शिता आएगी। उनके इस बयान को आगामी चुनावों से पहले एक राजनीतिक संकेत भी माना जा रहा है।
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लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने केंद्र सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना के समर्थन में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला लंबे समय से चली आ रही सामाजिक मांगों को पूरा करता है और सभी वर्गों के समावेशी विकास के लिए आवश्यक है। चिराग का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में जातिगत आंकड़ों की पारदर्शिता को लेकर राजनीतिक बहस तेज़ हो गई है।
उन्होंने कहा, “जाति जनगणना केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन और न्याय का आधार है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नीतियों और योजनाओं का लाभ सही वर्गों तक पहुंचे।”
चिराग पासवान ने साफ किया कि उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान भी इस मुद्दे को हमेशा से उठाते रहे हैं। “यह उनके विचारों को आगे बढ़ाने का वक्त है। जाति जनगणना के माध्यम से दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों की सही जनसंख्या का पता चलेगा, जिससे उन्हें हक और अवसर मिल सकेंगे।”
पासवान ने यह भी जोड़ा कि देश में जो योजनाएं बनाई जाती हैं, वे अक्सर बिना ठोस आंकड़ों के बनाई जाती हैं। ऐसे में, यदि जातिगत डेटा उपलब्ध होगा, तो सरकारें सटीक नीतियां बना पाएंगी जो वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ पहुंचा सकेंगी।
पासवान का बयान केवल सामाजिक नहीं, बल्कि राजनीतिक मायने भी रखता है। जाति जनगणना का समर्थन कर उन्होंने उन दलों के साथ सामाजिक न्याय के एजेंडे पर साझा सुर दिखाया है, जो पहले से इसकी मांग कर रहे थे — जैसे राजद, सपा और कांग्रेस।
हालांकि, चिराग NDA गठबंधन का हिस्सा हैं, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है।
विशेषज्ञों की मानें तो जाति जनगणना का मुद्दा आने वाले लोकसभा चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है। कई राज्यों में ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग की संख्या निर्णायक मानी जाती है। चिराग पासवान के इस बयान को, उनके राजनीतिक विस्तार के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है, खासकर बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में।
विपक्षी दलों ने चिराग पासवान के इस समर्थन का स्वागत किया है। आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर NDA के नेता भी इस मांग को स्वीकार कर रहे हैं, तो सरकार को तुरंत इस पर निर्णय लेना चाहिए। वहीं, कांग्रेस ने भी जाति जनगणना को “समाज की जरूरत” बताया है।
चिराग पासवान द्वारा जाति जनगणना का समर्थन देना, सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं बल्कि भारत में समानता और प्रतिनिधित्व की दिशा में एक अहम हस्तक्षेप है। इससे देश के नीति निर्माण में बदलाव की नींव रखी जा सकती है, जहां हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित हो।