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जातिगत जनगणना पर बोले असदुद्दीन ओवैसी: “कब होगी गिनती? पिछड़ों को कब मिलेगा हक?”

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना को लेकर तीखा सवाल पूछा है। उन्होंने कहा कि जब तक पिछड़ी और वंचित जातियों की सही गिनती नहीं होगी, तब तक उनके अधिकार तय नहीं हो सकते। ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर इस मुद्दे को टाल रही है।

By bishanpreet345@gmail.com 

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ओवैसी का तीखा सवाल: “जातिगत जनगणना कब होगी?”

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला है। एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने सवाल किया कि “आखिर जातिगत जनगणना कब होगी? देश में करोड़ों पिछड़े और वंचित वर्ग हैं, जिनकी आबादी का कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है। जब तक सही गिनती नहीं होगी, हिस्सेदारी और अधिकार कैसे तय होंगे?

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ओवैसी का यह बयान उस समय आया है जब विपक्षी पार्टियां लगातार केंद्र सरकार से OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) की जनगणना कराने की मांग कर रही हैं। ओवैसी ने इसे सामाजिक न्याय का मूल आधार बताते हुए कहा कि यह केवल आंकड़ों का सवाल नहीं है, बल्कि यह समानता और न्याय का मामला है।

सरकार पर तंज, संविधान की बात

ओवैसी ने अपने भाषण में कहा कि संविधान सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है, लेकिन हकीकत इससे अलग है। उन्होंने कहा कि सरकार जब जनसंख्या के आधार पर योजनाएं और आरक्षण तय करती है, तो उसे ठोस डेटा की जरूरत होती है। “आज सरकार के पास सवर्णों का, अल्पसंख्यकों का, लेकिन पिछड़ों का कोई वास्तविक आंकड़ा नहीं है।” उन्होंने कहा कि यह एक तरह की सोची-समझी चुप्पी और वंचनात्मक नीति है।

जातिगत जनगणना: राजनीतिक दलों की परीक्षा

असदुद्दीन ओवैसी ने यह भी कहा कि यह मुद्दा सभी राजनीतिक दलों के लिए एक लिटमस टेस्ट है कि वे सच में सामाजिक न्याय के लिए कितने गंभीर हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि जातिगत जनगणना को चुनावी मुद्दा बनाया जाए। उन्होंने कहा, “हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे, जब तक हर जाति, हर तबके की गिनती नहीं होगी और उन्हें उनका हक और हिस्सेदारी नहीं मिलेगी।

जातिगत आंकड़े क्यों जरूरी हैं?

जातिगत जनगणना की मांग इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि इससे यह तय किया जा सकेगा कि किस वर्ग को किस स्तर की सुविधाएं मिल रही हैं और किसे नहीं। इससे सरकार को नीतियों का पुनः मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी। ओवैसी ने कहा कि आर्थिक सर्वे और जनसंख्या गणना में पिछड़ों की अनदेखी करके सरकार केवल एकतरफा विकास की बात करती है, जो असमानता को बढ़ावा देती है।

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ओवैसी की मांग का असर

ओवैसी की यह मांग अब एक बार फिर से जातिगत जनगणना को राजनीतिक विमर्श के केंद्र में ले आई है। कांग्रेस, RJD, सपा और JDU जैसे दल पहले ही इसकी मांग कर चुके हैं। अब AIMIM की सक्रियता से यह दबाव और बढ़ सकता है।

उन्होंने अंत में कहा, “अगर सरकार को वाकई पिछड़ों और दलितों की चिंता है, तो उसे जातिगत जनगणना तुरंत शुरू करनी चाहिए। नहीं तो यह साफ है कि सरकार सिर्फ भाषणों और नारों की राजनीति कर रही है।”

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