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“जल्द शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा: श्रद्धालुओं के लिए फिर खुलेगा आध्यात्मिक द्वार”

लंबे समय के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू होने जा रही है। केंद्र सरकार की पहल और विदेश मंत्रालय के प्रयासों से यह पवित्र यात्रा फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोल दी जाएगी। वर्षों से इंतज़ार कर रहे तीर्थयात्रियों में इस खबर से उत्साह का माहौल है। जल्द ही तारीखों और पंजीकरण प्रक्रिया की आधिकारिक घोषणा होगी।

By bishanpreet345@gmail.com 

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कैलाश मानसरोवर यात्रा जल्द होगी शुरू: श्रद्धालुओं को मिली बड़ी राहत

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कोरोना महामारी और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण लंबे समय से स्थगित रही कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं। केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से पुनः शुरू किया जाएगा। इस फैसले से देशभर में हिंदू श्रद्धालुओं और बौद्ध अनुयायियों के बीच उत्साह की लहर दौड़ गई है।

क्या है कैलाश मानसरोवर यात्रा?
कैलाश मानसरोवर यात्रा एक प्राचीन तीर्थयात्रा है जो भारतीय उपमहाद्वीप में आस्था का प्रतीक मानी जाती है। यह यात्रा तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक जाती है, जिसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यह स्थान हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के लिए अत्यंत पवित्र है।

अब तक क्यों थी यात्रा बंद?
कोविड-19 महामारी के चलते वर्ष 2020 से यात्रा स्थगित कर दी गई थी। इसके अलावा, भारत-चीन सीमा विवाद, भौगोलिक चुनौतियाँ, और लोजिस्टिक दिक्कतों के कारण यात्रा को पुनः शुरू करना संभव नहीं हो पा रहा था। हाल ही में चीन द्वारा कुछ नियमों में ढील दिए जाने और भारत सरकार की तरफ से संपर्क मार्गों के विकास के बाद अब एक नई उम्मीद जगी है।

यात्रा मार्ग और व्यवस्थाएँ
अब यात्रा के लिए दो संभावित मार्गों को सक्रिय किया जा सकता है:

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  1. लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड के रास्ते)

  2. नाथू ला पास (सिक्किम के रास्ते)

इन दोनों मार्गों पर भारत सरकार ने आधारभूत ढांचे में कई सुधार किए हैं। सड़कें चौड़ी की गई हैं, चिकित्सा और संचार की सुविधाएं बढ़ाई गई हैं, और यात्रा परमिट प्रणाली को डिजिटल बनाया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं को आसानी हो।

श्रद्धालुओं के लिए क्या होंगी शर्तें?
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यात्रा में भाग लेने वालों के लिए कुछ आवश्यक शर्तें होंगी:

इस बार यात्रा में ई-रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी जाएगी ताकि लोग अपने घर से आवेदन कर सकें।

सरकार की पहल और रणनीति
केंद्र सरकार ने इस यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए कई स्तरों पर बातचीत की है। विशेष रूप से भारत-चीन सीमा पर स्थिरता लाने के बाद अब यह यात्रा मुमकिन लग रही है। सरकार ने इसके लिए मल्टी-एजेंसी टास्क फोर्स भी बनाई है जो सुरक्षा, स्वास्थ्य और यात्रा मार्गों की समीक्षा करेगी।

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यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कैलाश पर्वत को विश्व का केंद्र माना जाता है। मान्यता है कि यहां से चार नदियाँ—गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु और सतलज—उद्गमित होती हैं। मानसरोवर झील में स्नान करने से पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि हर वर्ष हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेना चाहते हैं।

यात्रियों के अनुभव और अपेक्षाएँ
इस यात्रा में भाग ले चुके श्रद्धालु बताते हैं कि यह केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि आध्यात्मिक और शारीरिक साधना है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों, ऑक्सीजन की कमी और ऊँचाई की चुनौती इस यात्रा को असाधारण बनाती है। अब जबकि यात्रा फिर से शुरू हो रही है, तो पहले से बेहतर व्यवस्थाओं की उम्मीद जताई जा रही है।

विदेश मंत्रालय की चेतावनी
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यात्रा को “Own Risk” पर किया जाएगा और चीन सरकार के नियमों का पालन अनिवार्य होगा। यात्रियों को पहले से चिकित्सा प्रमाणपत्र जमा करना होगा और पूरे मार्ग में गाइडेड टूर की व्यवस्था रहेगी।

अंतिम निर्णय जल्द होगा जारी
सूत्रों के अनुसार, जून 2025 तक यात्रा के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो सकती है। विदेश मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय संयुक्त रूप से इसकी घोषणा करेंगे। यात्रा की आधिकारिक वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी, मार्गदर्शिका और आवेदन फॉर्म उपलब्ध होंगे।

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