जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक प्रेस कांफ्रेंस में रोते हुए भारत और पाकिस्तान दोनों से अपील की कि वे युद्ध की राह छोड़कर शांति और संवाद को अपनाएं। उन्होंने हालिया घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि दोनों देशों के आम नागरिकों को युद्ध नहीं, बेहतर भविष्य की ज़रूरत है। उनका यह भावुक संदेश सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है।
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जम्मू-कश्मीर में लगातार बिगड़ते हालात के बीच, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने शनिवार को एक भावुक बयान दिया। उन्होंने कहा कि कश्मीर के आम लोग दहशत और अनिश्चितता में जी रहे हैं और इस भय के माहौल को खत्म करने के लिए भारत और पाकिस्तान को तत्काल संवाद शुरू करना चाहिए। पत्रकारों से बात करते हुए महबूबा मुफ़्ती की आंखें नम हो गईं और उन्होंने कहा, “कश्मीर को और खून नहीं चाहिए, हमें शांति, रोज़गार और शिक्षा चाहिए।”
महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि कश्मीर की आम जनता आतंकवाद और सियासी खींचतान से परेशान है। हर दिन एक नया हमला, हर दिन एक नई मौत। उन्होंने कहा कि कश्मीर के बच्चे अब स्कूल की बजाय कब्रिस्तान का रास्ता जानने लगे हैं, जो बेहद चिंताजनक है। “अगर अब भी बातचीत नहीं हुई, तो आने वाली पीढ़ियों को हम क्या जवाब देंगे?” उन्होंने सवाल उठाया।
महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि “दिल्ली को कश्मीर सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा लगता है, जबकि यहां लोग रहते हैं, सपने देखते हैं, परिवार बसाते हैं।” उन्होंने कहा कि बार-बार किए गए दावों के बावजूद सरकार स्थायी समाधान देने में नाकाम रही है। उनका कहना था कि बिना पाकिस्तान को बातचीत में शामिल किए, कश्मीर में स्थायी शांति संभव नहीं है।
महबूबा मुफ़्ती ने यह स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान को बातचीत से पीछे नहीं हटना चाहिए, चाहे हालात कितने भी कठिन हों। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी का हवाला देते हुए कहा कि “आप दोस्त बदल सकते हैं, मगर पड़ोसी नहीं”। उनका यह भी कहना था कि दोनों देशों को सैन्य ताकत की बजाय इंसानियत पर ज़ोर देना चाहिए।
महबूबा मुफ़्ती का यह भावुक वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हज़ारों लोगों ने इसे साझा किया और समर्थन जताया। कई यूज़र्स ने लिखा कि कश्मीर को सच में एक नेतिक नेतृत्व की ज़रूरत है, और महबूबा ने वो आवाज़ उठाई है जिसे लंबे समय से दबा दिया गया था।