पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर खुद को ‘शांति-दूत’ बताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और पाक पीएम शहबाज़ शरीफ़ के साथ डिनर करने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव खत्म करने के लिए वो दोनों नेताओं को एक साथ डिनर पर ले जाना चाहते हैं। ट्रंप का यह बयान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है।
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पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने शांति प्रस्ताव को लेकर सुर्खियाँ बटोरी हैं। इस बार उन्होंने एक अनोखा विचार सामने रखा है — भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ को एक साथ डिनर पर ले जाने का प्रस्ताव। ट्रंप ने कहा, “Let’s take them for dinner…” यानी “चलो उन्हें डिनर पर ले चलते हैं।”
ट्रंप ने यह बयान अमेरिकी मीडिया से बातचीत के दौरान दिया, जहाँ उन्होंने खुद को एक “शांति-दूत” (peacemaker) के रूप में पेश करते हुए कहा कि अगर उन्हें मौका मिले तो वह भारत और पाकिस्तान के बीच की दूरी को कम कर सकते हैं। उनका मानना है कि एक साधारण डिनर पर बैठकर भी बड़े मसले हल किए जा सकते हैं — अगर इरादे नेक हों।
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत और पाकिस्तान के संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर कश्मीर मुद्दे को लेकर। लेकिन ट्रंप ने साफ कहा कि वे चाहते हैं कि एशिया के दो प्रमुख देश शांति के रास्ते पर चलें और इसके लिए अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार है।
हालांकि, भारत सरकार पहले भी साफ कर चुकी है कि भारत-पाक मुद्दे द्विपक्षीय हैं और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद, ट्रंप का यह बयान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें इस बयान को किस नज़र से देखती हैं।
इस डिनर प्रस्ताव को लेकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कुछ लोगों ने इसे “डिप्लोमेसी में नया अंदाज़” कहा है तो कुछ ने ट्रंप के बयान को सिर्फ एक प्रचार स्टंट बताया है। फिर भी, ट्रंप के इस प्रस्ताव ने एक बार फिर भारत-पाक रिश्तों पर वैश्विक ध्यान केंद्रित कर दिया है।
ट्रंप पहले भी कई बार भारत और प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने पीएम मोदी को “टफ नेगोशिएटर” (कड़ा सौदागर) और “ग्लोबल लीडर” कहा है। दूसरी ओर, पाकिस्तान को लेकर भी ट्रंप का रवैया कभी सख्त तो कभी लचीला रहा है। उनके राष्ट्रपति काल में भी उन्होंने कई बार दोनों देशों के नेताओं से बातचीत की कोशिश की थी।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि, “अगर मुझे मौका मिले, तो मैं मोदी और शहबाज़ को एक टेबल पर लाकर बैठा सकता हूं। हम तीनों डिनर करेंगे, बात करेंगे और शायद एक हल निकल आए।”
यह प्रस्ताव जितना सरल सुनाई देता है, उतना ही जटिल भी है। भारत-पाकिस्तान के रिश्ते दशकों से ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विवादों से घिरे हुए हैं। ऐसे में सिर्फ एक डिनर से समाधान की उम्मीद करना अतिसरलीकरण माना जा सकता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रतीकात्मक कदम भी कई बार बड़ा असर डालते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने इस तरह की पहल की है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उत्तर कोरिया के किम जोंग उन से भी मुलाकात की थी, और मध्य-पूर्व में अब्राहम समझौते कराए थे। इससे साफ है कि ट्रंप अपने कार्यकाल में “डील मेकर” की छवि बनाकर रखते हैं और अब दोबारा राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने से पहले अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को फिर से सक्रिय दिखा रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम सवाल यह है कि क्या भारत और पाकिस्तान इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेंगे? भारत अपनी नीति के तहत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को नकारता रहा है, जबकि पाकिस्तान हमेशा से चाहता रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले में दखल दे। ऐसे में ट्रंप की इस पहल का क्या अंजाम होगा, ये भविष्य बताएगा।
फिलहाल ट्रंप का ये बयान दुनिया को हैरान करने वाला है — एक ऐसा प्रस्ताव जो शायद प्रतीकात्मक है, लेकिन दुनिया को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या डिनर की मेज़ पर भी शांति की शुरुआत हो सकती है?