जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक भावनात्मक अपील करते हुए कहा कि पूरे कश्मीर को आतंकवाद से जोड़ना गलत है। उन्होंने केंद्र और देश की जनता से आग्रह किया कि आम कश्मीरी को दुश्मन की नजर से न देखा जाए। उमर ने यह भी कहा कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में कश्मीरी भी समान रूप से पीड़ित हैं और उनका सहयोग बेहद जरूरी है।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जहां पूरे देश में आक्रोश की लहर है, वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक बेहद संवेदनशील और संतुलित बयान दिया है। उन्होंने देशवासियों से अपील करते हुए कहा, “कृपया पूरे कश्मीरी समाज को आतंकवाद से न जोड़ें। हम भी इस हिंसा के शिकार हैं, और हम भी शांति और सुरक्षा चाहते हैं।”
उमर अब्दुल्ला ने अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि इस घटना ने न केवल पर्यटकों के परिवारों को, बल्कि कश्मीर के आम नागरिकों को भी गहरे दुख में डाल दिया है। उन्होंने कहा, “हर कश्मीरी आतंकवादी नहीं है। आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में हमें मिलकर काम करना होगा, न कि एक-दूसरे पर शक करके।”
उमर ने बताया कि कश्मीर के युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी आतंकवाद से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि “जब एक आतंकवादी हमला होता है, तो उसके बाद सुरक्षा की सख्ती से आम लोगों की जिंदगी भी प्रभावित होती है। नौकरी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर असर पड़ता है। इसलिए यह मान लेना कि कश्मीरी इस हिंसा के पक्षधर हैं, सरासर गलत है।”
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अगर हमें आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है, तो कश्मीरियों को विश्वास में लेना होगा, न कि उन्हें अलग-थलग करना होगा।
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि राजनीतिक संवाद को फिर से बहाल किया जाए, ताकि आम कश्मीरी की आवाज सुनी जा सके। उन्होंने कहा, “शांति की प्रक्रिया तभी सफल हो सकती है जब जनता और सरकार के बीच भरोसे का पुल बने। केवल सुरक्षा से शांति नहीं आएगी, उसमें संवाद और सामाजिक न्याय भी ज़रूरी है।”
हालांकि उमर अब्दुल्ला ने आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि “जो लोग निर्दोषों की जान लेते हैं, उनका कोई धर्म नहीं होता। ऐसे लोगों के लिए कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा बलों की भूमिका अहम है लेकिन उसे मानवाधिकारों के दायरे में रहकर निभाया जाना चाहिए।
इंटरव्यू के अंत में उमर अब्दुल्ला ने देश के लोगों से एक भावनात्मक अपील की – “मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि हमें आतंकवाद के साथ खड़ा मत करिए। हमारी भी वही इच्छाएं हैं जो देश के किसी और हिस्से के नागरिक की होती हैं – शांति, सुरक्षा, विकास और सम्मान। कृपया हमें दुश्मन की नजर से न देखिए।”