अमृतसर के प्रतिष्ठित स्वर्ण मंदिर में अचानक अंधेरा छा गया जब सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक मॉक ड्रिल आयोजित की। इस ब्लैकआउट का उद्देश्य आतंकवादी हमले जैसे किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने की तैयारी करना था। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को पहले से सतर्क किया गया था, जिससे ड्रिल शांतिपूर्वक संपन्न हुई।
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अमृतसर, पंजाब का सांस्कृतिक और धार्मिक हृदयस्थल, मंगलवार की रात उस समय कुछ देर के लिए थम सा गया जब स्वर्ण मंदिर में अचानक बत्ती गुल कर दी गई। यह कोई तकनीकी खराबी नहीं थी, बल्कि एक पूर्व नियोजित मॉक ड्रिल थी, जिसे ऑपरेशन सिंदूर के तहत अंजाम दिया गया। इस ड्रिल का मुख्य उद्देश्य यह जांचना था कि यदि भविष्य में आतंकवादी हमला या कोई अन्य आपात स्थिति उत्पन्न होती है तो सुरक्षा एजेंसियां कितनी तैयार हैं।
पंजाब पुलिस, NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स) और अन्य सुरक्षा बलों ने मिलकर इस अभ्यास को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। ड्रिल के दौरान स्वर्ण मंदिर परिसर की सभी लाइट्स बंद कर दी गईं और सुरक्षा बलों ने पूरी निगरानी के साथ मंदिर की परिधि का दौरा किया। इसके साथ ही, CCTV सिस्टम, आपातकालीन रिस्पॉन्स टीम, और कमांड एंड कंट्रोल रूम की प्रभावशीलता भी परखी गई।
इस ब्लैकआउट मॉक ड्रिल के पहले स्थानीय प्रशासन और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों को सूचित कर दिया था। इसी वजह से इस दौरान कोई घबराहट या अफरा-तफरी नहीं फैली। श्रद्धालुओं ने भी सुरक्षा बलों के प्रयासों की सराहना की और इस अभ्यास को आवश्यक बताया।
स्वर्ण मंदिर, जो कि हर दिन हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है, हमेशा से ही एक संवेदनशील स्थल रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर इस तरह की सुरक्षा संबंधी मॉक ड्रिल्स आयोजित की जाती हैं।
ऑपरेशन सिंदूर का नाम एक कोड वर्ड है, जिसका तात्पर्य है – “पूर्ण सतर्कता और तुरंत कार्रवाई।” इस ऑपरेशन के जरिए सुरक्षा एजेंसियां यह सुनिश्चित करती हैं कि किसी भी असामान्य गतिविधि, आतंकी खतरे या हिंसक हमले की स्थिति में वे तेजी और प्रभावी ढंग से जवाब दे सकें।
ड्रिल के दौरान ड्रोन कैमरों, स्नाइफर डॉग्स, और बुलेटप्रूफ वाहनों का उपयोग भी किया गया। इससे यह संकेत मिलता है कि पंजाब पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल, राज्य की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहते।
अमृतसर प्रशासन और SGPC (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) ने इस ऑपरेशन में सहयोग देकर यह साबित कर दिया कि धर्मस्थल की सुरक्षा के लिए सभी संस्थाएं एकजुट हैं। स्थानीय दुकानदारों और श्रद्धालुओं ने भी इस अभियान में सहयोग किया और किसी तरह की अफवाह नहीं फैलने दी।
अधिकारियों के अनुसार, भविष्य में भी इसी प्रकार की ड्रिल्स आयोजित की जाएंगी और पंजाब के अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को भी सुरक्षा दृष्टिकोण से लगातार समीक्षा और अभ्यास के दायरे में लाया जाएगा। यह पहल न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है बल्कि इससे आम जनता में सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास भी बढ़ता है।